बिहार के पटना से टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़, निशाने पर थे पीएम मोदी

पटना

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बिहार की राजधानी पटना से पुलिस ने पीएफआई की आड़ में आतंक की ट्रेनिंग चलाने वाले दो संदिग्ध को गिरफ्तार किया है। साथ ही पुलिस ने उनके पास से कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए हैं। पुलिस ने अपनी एफआईआर में लिखा है कि दोनों लोग इस बार पीएम मोदी की पटना में होने वाले रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद मोदी को निशाना बनाना चाहते थे। बता दें कि 2013 में पीएम मोदी की रैली में धमाका भी SIMI से जुड़े आतंकियों ने किया था. इस मामले में अतहर परवेज का भाई मंजर आलम गिरफ्तार हुआ है।

दस्तावेज से खुलासा हुआ है कि पीएफआई ने 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट बनाने का सपना देख रहा है। अपने काम को अंजाम देने के लिए वह मुस्लिम युवाओं को हथियार चलाने, धार्मिक उन्माद फैलाने और हिंसा भड़काने की ट्रेनिंग दे रहा है। पटना पुलिस के मुताबिक खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर फुलवारीशरीफ इलाके के नया टोला में स्थित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दफ्तर में 11 जुलाई को छापेमारी की गई। मौके से कई संदिग्ध दस्तावेज और आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई। इसमें पीएफआई के मिशन-2047 से जुड़ा एक गोपनीय दस्तावेज भी मिला है। इसमें भारत को अगले 25 सालों में इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश का जिक्र है। छापे में पुलिस ने फुलवारीशरीफ से दो पुलिस ने मौके से दो संदिग्ध आतंकियों को हिरासत में लिया है।

हैरानी की बात है कि इनमें मोहम्मद जलालुद्दीन नाम का सख्स झारखंड पुलिस में दरोगा के पद पर रह चुका है और हाल ही में रिटायर हुआ है। वहीं दूसरा आतंकी परवेज प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सक्रिय सदस्य रह चुका है। उसका भाई बम ब्लास्ट के एक केस में जेल जा चुका है। अतहर खुद भी एक मामले में जमानत पर चल रहा है। जानकारी के आनुसार जब सरकार ने आतंकी संगठन सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया तो एक नए संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन नाम के एक नए आतंकी संगठन का गठन किया गया। जब पुलिस ने 2013 में आतंकवादी यासीन भटकल को गिरफ्तार किया तो इसके बाद इस संगठन की कमर टूट गई।

सूत्रों के मुताबिक इंडियन मुजाहिद्दीन के पतन के बाद देश के विभिन्न राज्यों में पीएफआई और उसकी सहयोगी संस्था सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया को मजबूत करने का काम किया जा रहा है। केरल की दो और कर्नाटक की एक संस्था को मिलाकर पीएफआई का गठन किया गया था। बता दें कि पिछले कई महीनों में देश के अंदर हुई आगजनी, पत्थरबाजी, हिंसा में पीएफआई का नाम आ चुका है। इसको लेकर जांच चल रही है। दूसरी तरफ अभी तर सरकार ने देश में पीएफआई पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।

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