संसद में आज हुआ वोटर आईडी को आधार कार्ड से जोड़ने वाला बिल

आधार कार्ड

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फर्जीबाड़े को समाप्त करने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने इन बदलावों को मंजूरी दे दी है। मतदाताओं की पहचान को लेकर बड़ी समस्या बनी हुई थी। विल पास होने के बाद सही मतदानों से लीडर की नियुक्ति होगी। आज पेश होने वाले बिल के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। मतदाता सूची को आधार  से जोड़ने का प्रस्ताव भी सलंघ्न किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल इसे ऐच्छिक या वैकल्पिक बनाया जा रहा है। मतलब ये कि लोगों को अपने वोटर कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने या न जोड़ने का विकल्प दिया जाएगा। इस पर विल की पूर्णता स्वीकृति के बाद अधिकारिक जानकारी को साझा किया जाएगा।

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 17 मार्च को लोकसभा में जारी लिखित जबाव के बारे में निर्वाचन आयोग के समर्थन से जानकारी दी थी। उनका मानना है कि मतदाताओं की पहचान प्रणाली को प्रस्तावित आधार औऱ वोटर आईडी से सम्मलित करने की आवश्यकता है। इस सुझाव से स्पष्ट होता है कि मतदाता दो जगह अपना पंजीकरण नहीं करवा सकते है, और न ही दो बार मतदान कर सकेंगे। दूसरा बदलाव चुनाव संबंधी कानून में सैन्य मतदाताओं की बराबरी को लेकर है। वर्तमान कानून के तहत, किसी भी सैन्यकर्मी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की पात्रता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी का पति इसका हकदार नहीं है। सैन्य मतदाताओं को पोस्टल बैलेट के जरिए मतदान करने की सुविधा दी जाती है और वर्तमान कानून के चलते महिला सैन्यकर्मी के पति इस सुविधा का लाभ नहीं ले पाते और अपना वोट नहीं दे पाते हैं। 

इसके अलावा तीसरा परिवर्तन आधार औऱ वोटर आईडी को कथित सूचि से जोड़ने की है। दरअशल मतदान करने की आयु सीमा को 18 साल निर्धारित की गई है। उदाहरण के लिए, अगर किसी युवा की आयु 2 जनवरी 2022 को 18 साल होती है तो वोटर लिस्ट में उसे अपना नाम जुड़वाने के लिए 1 जनवरी 2023 तक इंतजार करना पड़ेगा। नया कानून बनने के बाद वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाने के लिए मतदाताओं को साल में हर तीन महीने पर एक मौका यानि साल में चार मौके मिलेंगे।

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