सब ने उस समय आने वाले नए साल दो हजार बीस की बड़ी बड़ी शुभकामनयें दीं थीं। खूब पटाखे चलाये थे। जबरदस्ती छुट्टी मना ली थी। याद ही होगा बहुत ठंड में भी आधी रात को बारह बजते ही गर्म-गर्म रजाई से बाहर उछल पड़े होंगे घर में और क्या-क्या किया होगा वह नहीं बताऊंगा। अरे मेरी छोडो मैं तो बुड्ढा हो गया हूँ और वैसे भी मैं तो अंग्रेजी नया साल मनाता ही नहीं हूँ। पर आप ने क्या-क्या किया वह भी याद कर लो। इसी खुशी में मेरे पास भी मेरे मित्र भाई भरोसे लाल का फोन भी आया था। कोई और दिन होता तो मैं उठता भी नहीं पर मैंने उन के नए साल के चक्कर में ही उठा लिया था और मेरे मित्र भरोसे लाल हेलो बोलते ही शुरू हो गए हार्दिक शुभकामनायें मैं स्वस्थ्य और सुखी रहूँ। आदि-आदि कहने लगे पर मुझे तो पता है कि वे हार्दिक शुभकामनायें तो क्या देंगे अपितु कोसते अधिक रहते हैं। कि अब मेरी कोई और पुस्तक न छप जाये। और मुझे कोई पुरस्कार भी न मिल पाए। वैसे भी सरकार विरोधी होने के कारण कोई पुरस्कार मिलता भी नहीं है। और यदि कहीं मिल भी रहा हो तो भी वे मुझे बताते भी नहीं हैं। अपितु चुपचाप जा ले आते हैं उसके बाद मुझे चिढ़ाने के अंदाज में कई बार बताते हैं। चलो यह तो हम दो गहरे मित्रों की बाते हैं पर आप बताएं अपने कुछ मित्रों को फोन तो श्रीमती जी के सामने किये होंगे और कुछ को चुपचाप मैसेज भी किए होंगे और फिर उनको डिलीट भी कर दिया होगा। इसी के साथ ही कुछ को चुपचाप फोन भी कर दिया होगा, कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आपने भी सबको ही बहुत-बहुत शुभकामनाएं दी होंगी। अपितु आपको भी शुभकामनाएं मिली ही होंगी कि नए साल में आप को ख़ूब खुशी मिले स्वास्थ्य और सुखी रहें और भी अनेक ऐसी शायरी, कविताओं की पंक्तियां, तरह-तरह के फूल पत्तों के और गुब्बारों के स्टीकर और भी बहुत सारी चीजें व्हाट्सएप फेसबुक और ईमेल पर आई होंगी।
हे भगवान ! परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ इस 2020 के शुरू- शुरू में ही करोना जैसी महामारी इस नए साल में फैल गई और ऐसी फैली कि सारे भारत को ही नहीं पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया और शुभकामनायें मिलते-मिलते महामारी ने लोगों में ऐसा डर पैदा किया कि लोग इतना तो भूत- भूतनी से भी नहीं डरते हैं जितना इस कोरोना की बीमारी से डरने लगे हैं। लोगों के मन में कोरोना का डर इतनी गहराई से बैठ गया है कि उन्होंने घरों से निकलना बंद कर दिया है। लोग खुद अपने घरों में कैद नहीं हुए थे अपितु यह तो सरकार ने उनसे करवाया दिया क्योंकि बाहर तो वे इसलिए भी नहीं निकले कि बाहर तो लठ वाले बैठे थे जो घर से निकलते ही सेवा पूजा में लग जाते थे कहीं भाई भरोसे लाल आपकी शुभकामनाओं में तो कुछ ऐसा नहीं था कि पूरे देश में बीमारी का डर पैदा हो गया। पता नहीं आपने ऐसी क्या-क्या शुभकामनाएं दी थी।
अब जब बाहर आना जाना ही बंद हो गया तो फिर बताओ काम काज कैसे होता। सब का काम काज हाट बाजार व्यापार सब बंद हो गया।बहुत से लोगों की इस नए साल में नौकरियां चली गईं। पर हमेशा घर पर ही रहने के कारण कुछ खुशखबरियाँ भी मिली, देश की जनसंख्या जो बढ़ ही गई। देश की बढ़ती जनसंख्या क्या चिंता का विषय नहीं है। कोरोना काल में सब कुछ बंद होने से नाक में दम आ गया। और सालो में तो बगैर काम के खूब बाहर घूमते थे। घर में सिर्फ यही बोलना होता था कि एक जरूरी काम से बाहर जा रहा हूं, थोड़ी देर में आ जाऊंगा। इसके बाद तो बाजार के नजारे देखते-देखते टाइम कम निकल जाता था पता ही नहीं चलता था। जिस जरूरी काम के बहाने घर से बाहर निकलते थे अगर इस काम के बारे में घर में पता चल जाए तो दाना-पानी बंद होने की नौबत आ सकती थी। इस साल तो डांट खाते-खाते सब कुछ इतना सुकड़ गया कि कब्ज की नौबत आ गई, पता नहीं कैसी दुआ मिली थी दो हजार बीस के इस नव वर्ष की।

इतना ही नहीं 2020 से पहले तो खूब शादियां होती थी और आपस में दोस्त भी मिल-मिल कर पार्टी करते रहते थे। वहीं रिश्तेदार भी कोई ना कोई बहाना बनाकर अपने घर रोक ही लेते थे। इस दौरान खूब मजे उड़ाते थे। वहीं इस साल तो सब कुछ बंद हो गया। इस साल तो पांच-पांच लोगों को बुलाकर शादी कर ली। यार दोस्तों का नंबर तो बहुत दूर था, बल्कि शादी वालों के घर वाले भी दावत खाने से रह गए। इसी के साथ ही उन दोस्तों के अरमान धरे के धरे रह गए जो घोड़ी के आगे मुंह में रूमाल लगाकर नागिन डांस करने के शौकीन थे। हे भगवान उन्हें शांति देना। सरकार ने इस साल शादी में बहुत कम मेहमानों को बुलाने का फरमान जारी कर दिया। इसी के साथ यह भी बता दिया कि आदेश का उलंघन करने पर सजा और जुर्माना दोनों भुगतना पड़ेगा। इस कारण शादियों में जाने का नंबर ही नहीं आया। चलो शादियों में तो छोड़ो इस साल तो जन्मदिन, मरण दिन, गृह प्रवेश, कुआ पूजन और हवन यज्ञ में भी जाना नसीब नहीं हुआ और जब कुछ कहीं हुआ ही नहीं तो जो कपड़े लत्ते इन के लिए तैयार करवाए हुए थे वे भी बेकार में धरे के धरे ही रह गए और कुछ तो घर में बैठे-बैठे पेट बढ़ने के कारण छोटे भी हो गए क्योंकि जब कहीं जाना ही नहीं तो तो क्या उन्हें घर में ही पहन कर कैसे बैठा जाएँ। भला कोई घर मे प्रेस किये नए 2 कपड़े पहन कर बैठता है । घर में तो गर्मियों में ढीला सा नेकर और टी शर्ट और सर्दियों में पायजामा पहन कर ही साल बिता दिया गया। बताओ यह भी कोई साल था जिसमें नए कपड़े भी नहीं पहने गए।

परन्तु मेरे मित्र भाई भरोसे लाल को तो दोहरी परेशानी हुई। उन की शादी ब्याह की दावते तो मारी ही गई अपितु साल भर तक होने वाले जलसे-जूलूस भी इस साल में नहीं हो पाए तो उन की तो और भी बुरी हालत हो गई। घर में रहना तो उन के लिए जेल में रहने जैसा ही था। घर में बैठे-बैठे उन का पेट फूल गया जिस के लिए उन्हें तरह-तरह के चूरन- चटनी खाने पड़े। और साथ ही नए 2 कुर्ते- पजामों को देख देख कर किलसते रहे और इस दो हजार बीस ने तो उन्हें जलसों में मिलने वाली साग-पूड़ी से भी वंचित कर दिया। है भगवान इस साल की ये शुभकामनाएं, शुभ तो नहीं थी अपितु अशुभ अधिक साबित हुईं।

पता नहीं लोगों ने इस बार कैसे मन से शुभकामनाएं दी। वैसे भी मन से शुभकामनाएं देता ही कौन है लोगों को तो बस जबरदस्ती देनी पड़ती हैं क्योंकि जब सामने वाला दे ही रहा है तो आप को भी शुभकामनाएं देनी ही पड़ेगी नहीं तो वह बुरा तो मान ही जायेगा और यदि आप किसी को शुभकामनाये नहीं देंगे तो वह भी वैसे ही बुरा मान लेगा। वैसे भी पहली जनवरी को तो लोग हैप्पी न्यू ईयर ऐसे कहते फिरते हैं जैसे मंगलवार का प्रसाद बांट रहे हों। जो भी सामने आ जाये उसे ही दे दो चाहे वह जान पहचान का हो या न हो क्योंकि प्रसाद में कोई भेदभाव थोड़ी होता है और प्रसाद तो हर आदमी ले ही लेता है कुछ को छोड़ कर। इसी लिए 31 तारीख की आधी रात को ही लोग हैप्पी न्यू ईयर बांटना शुरू हो जाते है और कई दिन तक बांटते रहते हैं। यह अक्षय पात्र की तरह समाप्त ही नहीं होता है जब तक आप के सब भूले बिसरे दोस्तों- दोस्तनियों तक यह न पहुँच जाए। खेर चलो को कोई बात नहीं जैसे तैसे यह दो हजार बिस चला तो गया कहने का मतलब है कि अब बस जाने वाला है। पर कुछ लोग 2021 आने से पहले ही बोल रहे हैं कि यह साल भी दो हजार बीस जैसा ही होगा। हे भगवान क्या करके मानोगे क्या हमारी पूरी ऐसी तैसी ही कर के मानोगे भगवान जी लोगों ने बेशक आप की खूब ऐसी तैसी की है पर आप तो ऐसा मत करो। पर इसबार मेरा सब मित्र मित्रनियों से हाथ जोड़कर निवेदन कि इस बार सचमुच की दिल से शुभकामनाएं देना कभी फिर से पिछले साल जैसी ही दे दो।इस लिए अभी दो चार दिन हैं अभी से अच्छी 2 शुभकामनाएं सोच लो और मन को भी तैयार कर लो यह कहने के लिए की सब का शुभ हो अब का मंगल हो सब का कल्याण हो।
डॉवेदव्यथित
अनुकम्पा 1577 सेक्टर 3 फरीदाबाद 121004

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