कोरोना फिर मचा सकता है तबाही

अनिल निगम

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कोरोना वायरस की नई वेव और स्ट्रे न ने महाराष्ट्रर, केरल, गुजरात, पंजाब, छत्तीासगढ़ और मध्यस प्रदेश सहित लगभग आठ राज्यों् में कोहराम मचाना शुरू कर दिया है। एक ही दिन में देश में लगभग 47 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमितों की संख्यां आनी शुरू हो गई है। इससे भी ज्याददा चिंताजनक बात यह है कि वायरस से मरने वालों का प्रतिशत भी बढ़ रहा है। लोगों की घोर लापरवाही के कारण देश में एक फिर कई साल पीछे जाता दिखाई दे रहा है। पर देश के अनेक राज्योंफ में कोरोना प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जनता बेपरवाह दिख रही है।

वायरस का नया स्ट्रेईन बेहद परेशान करने वाला है। ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के बाद फ्रांस और अब भारत के 18 राज्योंि में भी पाया गया है। वहां पर कई ऐसे संक्रमित मामले मिले हैं जिसने विज्ञानियों को भी चुनौती दे दी है। नए वायरस से लोगों के संक्रमित होने के बावजूद उनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। अहम सवाल यह है कि नया स्ट्रेान विकराल रूप ले, इसके पहले ठोस रणनीति बनाए जाने की जरूरत है कि इससे कैसे निपटा जाए? कहीं ऐसा न हो कि देश में एक बार फिर पहले जैसे हालात बन जाएं।

विकराल होती इस बीमारी से निपटने की युक्ति और रणनीति पर विचार करने के पहले हमें इस पर चिंतन कराना होगा कि आखिर यह समस्याक बढ़ क्यों रही है और इसके लिए जिम्मे दार कौन है? सर्वविदित है कि जब गत वर्ष चीनी वायरस का प्रकोप हमारे देश में बढ़ रहा था, 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संपूर्ण देश में लॉकडाउन कर दिया था। ऐसा करने के चलते कोरोना के संक्रमण को रोकने अथवा कम करने में मदद मिली थी, लेकिन यह भी सचाई है कि इसके कारण देश की उत्पाददकता और अर्थव्येवस्थाा चरमरा गई थी। उससे निजात पाने के लिए सरकार और जनता आज भी संघर्ष कर रही है।

सरकार ने सख्ती बरती और लोगों ने सावधानी। इससे वायरस के संक्रमण पर नियंत्रित करना संभव हो सका। लेकिन स्थितियां जैसे ही कुछ सामान्यन होना शुरू हुईं, लोगों ने घोर लापरवाही बरतना शुरू कर दिया है। लोगों ने मास्को और सेनिटाइजर से दूरी बनाना शुरू कर दिया है। सार्वजनिक स्थामनों पर भी बिना मास्कर के नजर आ रहे हैं। शादी-विवाह समारोह, चुनावी रैलियां, अन्य‍ सार्वजनिक समारोहों, बस, ट्रेन, मेट्रो इत्या दि में लोग बिना मास्कय के नजर आ रहे हैं। समारोहों और सार्वजनिक परिवहन व्य वस्थाक का प्रयोग करते समय सोशल डिस्टेंरसिंग सहित कोरोना के किसी भी प्रोटोकाल की धज्जियां जमकर उड़ाई जा रही हैं। कई प्रदेशों में बहुत तेजी से संक्रमण बढ़ रहा है। महाराष्ट्र , गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश के कई जिलों में प्रदेश सरकारों ने अलग-अलग तरीके से कर्फ्यू या लॉकडाउन अथवा कुछ प्रतिबंधों की घोषणा की है।

एक वर्ष पूर्व संपूर्ण भारत में लॉकडाउन करने के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्यर यह था कि उस समय देश इस बीमारी से लड़ने के लिए तैयार नहीं था। उसके पास मास्कय, सेनिटाइजर, वेंटीलेटर और अस्प तालों तक की भीषण कमी थी। इसलिए ऐसा करना सरकार की मजबूरी थी। लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। भारत मास्कू, सेनिटाइजर, वेंटीलेटर बनाने के मामले में आत्मलनिर्भर बन चुका है। हमने कोरोना की वैक्सीेन भी तैयार कर ली है और चार करोड़ से अधिक लोगों को यह टीका लग भी चुका है। कहने का आशय यह है कि अब हम महामारी से लड़ने में सक्षम हैं। लेकिन अत्यंयत चिंताजनक बात यह है कि जो नया स्ट्रे न भारत में आया है, वह कोरोना की आरटीपीसीआर जांच में पकड़ में नहीं आ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि नए स्ट्रे न का स्पाीइक प्रोट्रीन कई बार म्यु टेट हो चुका है। केंद्रीय स्वा स्य्रे मंत्रालय ने भी इस बात को स्वीहकार किया है कि भारत में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेान आ चुका है।

निस्संेदेह, इस बार हम पहले की अपेक्षा अधिक तैयार हैं, पर हमारी जरा सी लापरवाही बहुत महंगी पड़ सकती है। नया कोरोना वायरस न केवल टेस्टप से पकड़ में आ रहा है बल्कि वह पिछली बार की तुलना में अधिक घातक है। इसके अलावा उसके फैलने की रफ्तार भी कई गुना तेज है। इस वास्त विकता को हर नागरिक को समझने की जरूरत है। वैक्सीुन हर राज्य में पर्याप्ता मात्रा में पहुंच चुकी है, लेकिन कई ऐसे राज्यी हैं, जहां पर लोग वैक्सीमन लगवाने के प्रति अपनी उदासीनता दिखा रहे हैं और सरकारी स्टोेर वैक्सी न से भरे पड़े हैं। लोग मास्क और सेनेटाइजर लगाने से परहेज कर रहे हैं। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने में अभी भी सावधानी बरतने की जरूरत है। लॉकडाउन इस समस्या का समाधान नहीं है। अगर लॉकडाउन फिर लगाना पड़ा तो हमारी अर्थव्ययवस्थाह फिर कई साल पीछे चली जाएगी। भारत पर गंभीर संकट मंडरा रहा है, इसलिए देश का जिम्मेेदार नागरिक होने के नाते हमें ज्याादा सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। हम इसका बिलकुल इंतजार न करे कि सब कुछ सरकार करे अथवा वह हम पर प्रतिबंध लगाए और हम उसका अनुसरण करने को बाध्यर हों।

(लेखक आईआईएमटी न्यूकज के संपादक हैं।)

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