भारत में मांसाहार खाने वालों पर बड़ा शोध

भारत की कुल आबादी 137 करोड़ के आस-पास है, जिसमें 33.61 फीसदी शाकाहारी औऱ 66.39 फीसदी मांसाहार खाने वाले लोग निवास करते है। दरअसल यह आंकड़ा अनुमानित रूप से दर्ज किया गया है। भारत में मांसाहार की वजह से 24.63 फीसदी वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। अशुद्ध वायुमंडल में मांसाहार के खुलेआम बेचने से काफी गहरा प्रभाव पड़ा है। खान-पान से परेशानी नहीं बल्कि खुले में बेचने से बीमारियों के पनपने का डर बना रहता है।

शुद्ध वातावरण को रखने के लिए मांस को खुले में बेचने पर प्रतिबंध लगना आवश्यक है। हाल ही में खबर ट्रैंड कर रही है कि गुजरात के कई बड़े शहरों में मांस को खुलेआम बेचने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। शुरुआती निर्णायक श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ है। इन्होंने आगरा, मथुरा गोरखपुर समेत कई शहरों में मांस बेचने पर रोक लगाई थी। इसके बाद अन्य राज्य सरकारों ने इस फैसले का अम्ल करते हुए अपने राज्य के सार्वजनिक शहरों में खुलेआम मांस बेचने पर प्रतिबंध लगाया है।

उल्लेखनीय है, भारत में मांसाहर को लेकर कई टिप्पणी सामने आई, जिसमें सकारात्मक और नकारात्मक सुजाव शामिल है। दरअसल धार्मिक स्थलों औऱ शिक्षण संस्थानों में मांस का बेचना वैसे भी गलत है। इससे वायुमंडलीय शुद्धता और धार्मिक शुद्धता पर गहरा असर पड़ता है।

  रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक मांसाहार सेवन करने वाले राज्यों में पहला नाम केरल, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, तेलांगना, बिहार, झारखंड के नाम सामने आते है। वहीं सबसे कम  मांसाहार को अपनाने वाले राज्य में पहला नाम राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश औऱ जम्मू-कश्मीर का आता है। फीसदी से देखा जाए तो सबसे अधिक मांस बेचने और खाने वाले राज्य में कुल आवादी  तेलांगना 98.87, आंध्र प्रदेश 98.25, पश्चिम बंगाल 98.6, तमिल नाडु 97.65, झारखंड 96.75 फीसदी है।

जबकि शाकाहारी में राजस्थान 74.9, हरियाणा 71.23, पंजाब 66.75, मध्यप्रदेश 50.6 फीसदी के अलावा उत्तर प्रदेश 47.1 और गुजरात 60.95 फीसदी शुद्धता को प्रवाहित करता है। नेशलन फैमिली हेल्थ सर्वे में इस आंकड़े को प्रदर्शित किया गया है। 2015-16 में जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, 30 फीसदी महिलाएं और 37 फीसदी पुरुष देश में मांसहार का सेवन करते है। जबकि 2020-21 में वृद्धि हुई है। देश में 2020 को बाद मांसहार खाने वालों का आंकड़ा महिलाएं 38 फीसदी और पुरुष 43 फीसदी सामने आए है।

नोट– शोधकर्ता के द्वारा अनुमानित आंकड़े पेश किए गए है, इसकी अधिकारिक पुष्टी नहीं हुई है। मोहित कुमार लेखक एंव रिसर्चर आईआईएमटी न्यूज

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