भगवान शिवलिंग के विभिन्न रूप और उनकी पूजा विधि

दुनिया में भारत को दैविक शक्तियों और तीर्थ स्थलों से जुड़ा देश कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिवलिंग के सात स्वरूपों का व्याख्यान किया गया है। सावन महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय माना गया है, इस मास में भक्त शिव पार्वती की पूजा अर्चना करते है। शास्त्रों के मुताबिक इस महीने में रुद्राभिषेक, जलाभिषेक और शिव चालीसा पाठ करने पर मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। भगवान शंकर का निराकार रूप को लिंग के रूप में माना जाता है। शिवलिंग की महिमा का वर्णन शिव पुराण और लिंग पुराण में भी मिलता है। इनके अनुसार शिव लिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और ऊपरी भाग में शिव का वास होता है तथा शिव लिंग की वेदी या अर्घा आदि शक्ति माता पार्वती का रूप माना जाता है। अधिकांश मंदिरों में शिव लिंग की पूजा होती है, पत्थर के शिवलिंग पर जलाभिषेक और रूद्राभिषेक काफी मंगलकारी माना जाता है। पारद शिवलिंग यानि चांदी और पार के मिश्रण से बने लिंग की पूजा करने पर धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। रत्न निर्मित शिवलिंग की पूजा आराधना करने से सुख-शांति और धन-वैभव की प्राप्ति होती है। मिश्री के शिवलिंग में आस्था रखने वाले लोगों को बीमारियों से छुटकारा मिलता है। जौं और चावल के शिवलिंग की पूजा करने पर दपंत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है। फल-फूल के शिवलिंग की आराधना करने पर जमीन संबंधी समस्या से छुटकारा मिलता है। वहीं मिट्टी के शिवलिंग (पार्थिव शिवलिंग) की पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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