पाकिस्तान के सैन्य शस्त्रागार को बढ़ाने के लिए चीन कर रहा मदद

पाकिस्तान

अनुष्का वर्मा। पाकिस्तान को अमेरिका से हथियार प्राप्त करने के लिए और अधिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में चीन ने इस्लामाबाद के पारंपरिक और परमाणु शस्त्रागार को बढ़ावा देने के लिए हथियारों की सप्लाई की है। वैसे तो चीन ने लंबे समय से पाकिस्तान के सशस्त्र बलों की आपूर्ति की है, लेकिन कुछ वर्षों में संबंध और गहरे हो गए हैं। वहीं पाकिस्तान ने राष्ट्रीय हित के अनुसार शीर्ष चीनी निर्यात उपकरणों की बड़ी खरीदारी की है।


चार्ली गाओ राष्ट्रीय हित में अपने विश्लेषक में लिखते हैं, ‘चीन ने पाकिस्तान को निम्नलिखित पांच हथियारों के लाइसेंस दिए हैं, इसमें परमाणु हथियार कार्यक्रम,JF-17 फाइटर A-100,मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर VT-1A और HQ-16 शामिल हैं।


वहीं चीन से सैन्य अधिग्रण पर पाकिस्तान ने जिन प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया है। उनमें से एक अपने जमीनी बलों के लिए आवश्यक वायु रक्षा हासिल करना है। पाकिस्तानी सेना ने जमीन पर अपने गठन की रक्षा प्रदान करने के लिए मुख्य रूप से अपनी वायु सेना पर भरोसा किया है।


इसके अलावा राष्ट्रीय हित के मुताबिक, पाकिस्तान लंबी दूरी की चीनी HQ-9 प्रणाली, रूसी एस-300 लंबी दूरी की एसएएम के एक चीनी एनालॉग को खरीदने के लिए भी बातचीत कर रहा है। इससे पहले पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को चीन द्वारा 1980 के दशक की शुरुआत से भारत के खिलाफ आवश्यक सैन्य निवारक विकसित करने के लिए बढ़ावा दिया गया था, जो चीन-पाकिस्तान गठजोड़ का मुख्य आकर्षण बना हुआ है।


गौरतलब है कि चीन ने पाकिस्तानी परमाणु हथियार कार्यक्रम को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की है। उस पर आरोप है कि उसने भारत की बडी शक्ति महत्वकाक्षांओ का मुकाबला करने के लिए मिसाइल घटक, वारहेड डिजाइन और य़हां तक कि अत्यधिक समृध्द यूरेनियम भी प्रदान किया है। उस पर यह भी आरोप है कि चीन परमाणु आपुर्तिकर्ता समूह के मानदंडों को दरकिनार करते हुए पाकिस्तान के परमाणु हथियार को विकसित करने में आगे रहा है।

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