वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक रीति-रिवाज से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अंतिम विदाई

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद

काजल मौर्य। ज्योतीर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वाती का बीते दिन रविवार को निधन हो गया। संत परंपरा के मुताबिक ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच समाधि दी गई। साधु-संतों ने रीति-रिवाज और धार्मिक कर्मकांड से समाधि संपन्न कराई। इससे पहले भजन कीर्तन के साथ उन्हें पालकी में बैठाकर समाधि स्थल तक लाया गया। इस दौरान हजारों की संख्या में उनके शिष्य, अनुयायी और श्रद्धालु मौजूद रहे। जिन्होंने नम आंखों से अपने गुरुदेव को अंतिम विदाई दी।

अब ज्यादातर लोगों के मन में अब यह सवाल उठता है कि हिंदू धर्म के मुताबिक तो दाह संस्कार की क्रिया अग्नि दहन यानी जलाकर किया की जाती है। दरअसल साधु-संतों के लिए अग्नि को सीधे स्पर्श करने की मनाही है, इसलिए साधु-संतों की मृत्यु  होने के बाद उन्हें समधि दी जाती है।

मरकर भी साधु-संत करते हैं परोपकारः

संतों का कहना है कि  ‘आम लोगों की मृत्यु के बाद उन्हें जलाया जाता है’, लेकिन साधु-संतों को समाधि दी जाती है, क्योंकि उनका पूरा जीवन ही परोपकार के लिए है। जलाकर अंतिम क्रिया करने पर शरीर से किसी को लाभ नहीं होता, बल्कि पर्यावरण को ही हानी होता है, इसलिए साधु-संतों को भू या जल समाधि दी जाती है।

इन दोनों ही तरीकों से छोटे-छोटे करोड़ों जीवों को शरीर से आहर मिल जाता है।

कैसे दी जाती है साधु-संतों को भू-समाधि-

•  भू समाधी के लिए एक बड़ा गड्ढा खोदा जाता है। यह गड्ढे को 6 फीट लंबा, 6 फीट चौड़ा और 6 फीट गहरा खोदा जाता है। उसके बाद गड्ढे को गाय के गोबर से लीपा जाता है।

•  कुछ साधु-संतों को भू-समाधि देने से पहले गड्ढे में हवन किया जाता है।

•   शरीर आसानी से गल सके, इसके लिए गड्ढे में नमक डाला जाता है।

•  गड्ढे में अंदर दक्षिण दिशा की ओर एक छोटा गड्ढा भी किया जाता है, इस गड्ढे में साधु-संतों के पार्थिक शरीर को बैठी हुई मुद्रा यानी पद्मासन या सिध्दासन की मुद्रा में रखा जाता है।

•  संन्यासियों की समाधि में उनसे जुड़ी कुछ खास चीजें भी रखी जाती हैं, जैसे दंड, कमंणडल, रुद्राक्ष की माला आदी।

•   संन्यासी के शरीर पर घी लगाया जाता है, ताकि चींटी जैसे छोटे-छोटे जीव शरीर की ओर जल्दी आकर्षित हो सकें।

•  यह पूरी ही प्रक्रिया मंत्र उच्चारण के साथ की जाती है, और अंत में गड्ढे को मिट्टी से ढक दिया जाता है।

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