राजद्रोह कानून: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को पीएम मोदी की ‘बोझ उतारने’ वाली बात याद दिला दी

राजद्रोह

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दीपक कुमार तिवारी: सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर केंद्र सरकार को दोबारा विचार करने के लिए समय दे दिया है। कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वो इस कानून के लंबित और भविष्य में आने वाले मामलों को लेकर बुधवार 11 मई की सुबह तक हलफनामा दाखिल करे। इससे पहले केंद्र ने भी मांग की थी कि जब तक सरकार इस कानुन पर विचार कर रही है, तब तक सुनवाई टाल दी जाय, हालांकि इस याचिकाकर्ता के वकील कपील सिब्बल ने इसका विरोध किया। दरअसल कोर्ट और केन्द्र के बीच सवाल जवाब हो रहा है। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने केंद्र के पिछले हलफनामे के साथ-साथ पीएम के एक बयान का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने ही औपनिवेशिक काल के बोझ को उतारने की बात कही थी। लेकिन इसको लेकर चीफ जस्टीस ने केंद्र के प्रतिनिधि से कहा कि हम ये सुनिश्चत करेंगे कि इस मामले में एक गंभीर प्रक्रिया चल रही है। हम ये केस बंद नहीं करने वाले हैं। इसको लेकर कई तरह की चिंताएं हैं। एक तो लंबित मामले ही हैं, दूसरा कानून का गलत इस्तेमाल भी चिंता का विषय है। हम कैसे इन सभी चीझों से निपटेंगें।
साथ हीं ये बताया गया है कि राज्य सरकार को विशेष चिंता करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कानून पर दोबारा विचार करने का विषय है।
राजद्रोह कानून है के बारे में आपको कुछ हम बताने वाले हैं। दरअसल आईपीसी की धारा 124A , जिसके तहत राजद्रोह के मामले दर्ज किए जाते हैं, इसके लिए लिखा है कि , जो भी लिखित या फिर प्रत्यक्ष या फिर परोक्ष रुप से नफरत फैलाने या फिर विधि संगत बनी सरकार के खिलाफ असंतोष को बढावा देता है या इसकी कोशिश करता है, उसे 3 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

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