आईआईएमटी कॉलेज ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी में नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन

Rajtilak Sharma

(ग्रेटर नोएडा)

के पूर्व प्रमुख डॉ विनोद कुमार शनवाल व दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. अनुराग मिश्रा ने भाग लिया। इन सभी अतिथियों का स्वागत कॉलेज समूह के एकेडमिक डीजी एम के सोनी ने किया। मुख्य विषय ‘द इंडियन नॉलेज सिस्टम इन कॉन्टेक्स्ट का डेवलपिंग इंडिया 2047’ पर बोलते हुए डॉ. रमेश पाठक ने कहा कि भारत ने दुनिया को 5000 हजार साल पहले संस्कृति दी जब कई सभ्यताएं केवल खानाबदोश जीवन जी रही थी। वो भारत के ही लोग थे जिन्होंने विश्व का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला में 700 ईसा पूर्व में स्थापित कर दिया था। इस विश्वविद्यालय में दुनिया भर के 10 हजार से अधिक छात्रों ने 60 से अधिक विषयों की पढ़ाई की। वहीं डॉ विनोद कुमार शनवाल ने इस मौके पर कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणालियों की भारतीय संस्कृति, दर्शन और आध्यात्मिकता में एक मजबूत नींव है और यह हजारों वर्षों से विकसित हुई है। आयुर्वेद, योग, वेदांत और वैदिक विज्ञान सहित ये ज्ञान प्रणालियाँ आधुनिक दुनिया में अभी भी उपयोगी हैं। भारतवर्ष ने विश्व को आयुर्वेद दिया। इस दौरान प्रोफेसर डॉ. अनुराग मिश्रा ने भी छात्रों से समक्ष अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि विदेशी ताकतों ने हमेशा से ही हमारी ज्ञान परंपरा को दबाकर रखने की कोशिश की है। हमारे विज्ञान और सेवा भाव को हमेशा नीचा दिखाने को कोशिश की गई है जिसकी वजह से हमने अपनी समृद्ध ज्ञान परंपरा को बहुत हद तक खो दिया है। अब समय आ गया है कि हम अपनी ज्ञान परंपरा को अपनी तरीके से परिभाषित करें। दूसरी तरफ प्रोग्राम के दौरान राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से आए शिक्षकों और छात्रों ने 50 से अधिक शोधपत्र पेश किए। इसी के साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस में आईआईएमटी कॉलेज समूह के प्रबंध निदेशक डॉ. मयंक अग्रवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रोग्राम में जुड़े। इस मौके पर ग्रुप डॉयरेक्टर डॉ. केके पालीवाल, आईआईएमटी कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की डायरेक्टर डॉ. पूनम पांडे. डीन डॉ. चंद्रशेखर यादव, डॉ वैशाली इंदु जैन मुक्ता तिवारी, डॉ सरिता दयाल, डॉ. दिशा विद्यार्थी सहित अनेक छात्र मौजूद रहे।

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