राजतिलक शर्मा। नोएडा प्राधिकरण बोर्ड में उद्यमियों को प्रतिनिधित्व देने का मुद्दा एक बार फिर जोर पकड़ रहा है। एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा के जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने शनिवार को इंदिरा गांधी कला केंद्र में मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ लोकेश एम,आईएएस के समक्ष यह मांग उठाई।

सुरेंद्र सिंह नाहटा ने कहा कि कई वर्षो से बोर्ड में उद्यमियों के प्रतिनिधित्व की मांग उठाई जा रही है। बोर्ड में उद्यमी संगठन की तरफ से भेजे जाने वाले एजेंडे भी शामिल नहीं किए जा रहे हैं। वर्ष 1976 में औद्योगिक शहर विकसित करने के मकसद से नोएडा की स्थापना की गई थी। लेकिन नोएडा प्राधिकरण के अफसरों की मनमानी, घोटालों और गलत नीतियों ने इस शहर की छवि को भारी नुकसान पहुंचाने का काम किया है। बिल्डर और भू-माफिया से सांठगांठ कर औद्योगिक विकास प्राधिकरण को बिल्डर विकास प्राधिकरण में बदलकर रख दिया है। बंद कमरों में नीतियों को निर्धारित किया जाता है। शहर के उद्यमी अपने आप को ठगा महसूस करते रहे। बड़े-बड़े फैसले बिना जनता की राय जाने ले लिए जाते हैं। नोएडा को यूपी की शो विंडो बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले स्थानीय उद्यमियों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

नोएडा प्राधिकरण में क्लस्टर पार्किंग के नाम पर अनियमितताएं और धांधली बरती जा रही है। प्राधिकरण की तरफ से नए सिरे से पार्किंग के ठेके आवंटित करने की तैयारी की जा रही है। औद्योगिक सेक्टरों में पार्किंग शुल्क व्यवस्था का हम कड़ा विरोध करते हैं। पार्किंग शुल्क के नाम पर उद्यमियों और लाखों श्रमिकों की जेब पर बोझ नहीं डाला जाना चाहिए। उद्यमियों को जब भूखंड आवंटित किए गए तब सडक की चैड़ाई, फेसिंग और कॉर्नर प्लॉट के हिसाब से अलग-अलग लोकेशन शुल्क वसूला गया था। उद्यमी प्राधिकरण को लीज रेंट भी देते हैं। ऐसे में इकाई के आगे वाहन पार्किंग शुल्क वसूलने का अधिकार किसी को कैसे दिया जा सकता है। औद्योगिक सेक्टरों में भूखंड आवंटित करते समय लोकेशन चार्ज वसूलकर जो संपत्ति उद्यमियों के हवाले की गई उसे दोबारा से पार्किंग ठेकेदारों को बेचने का कोई औचित्य नहीं है।

नोएडा के उद्यमियों को विगत पांच से पन्द्रह साल के जल सीवर के बिल एक साथ चक्रवद्धि ब्याज और अर्थदंड लगाकर भेजे गए। प्रश्न ये है कि जब प्राधिकरण ने नियमता उस समय प्रतिमाह या त्रिमासिक बिल क्यों नहीं भेजे। दूसरा पानी की गुणवत्ता की रिपोर्ट तक साझा नहीं की जाती है और वर्तमान में जब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने सरचार्ज पर 40 प्रतिशत की छूट दी हुई है तो नोएडा प्राधिकरण क्यो उद्यमियों को छूट नहीं दे रहा।

नोएडा में पार्को का भी व्यवसायिकरण किया जा रहा है। फेज-1 में यानी सेक्टर-1 से 11 तक के पार्को में दुकाने और क्योस्क बना दिए गए है। इसके अलावा नए विकसित पार्को में भी दुकाने और शौचालय बना दिए गए है। इससे सिर्फ सीधे तौर पर एनजीटी के नियमों का वायलेशन है। इस पर सख्त एक्शन लिया जाए।

नोएडा के औद्योगिक सेक्टरों में प्राधिकरण की ओर से चक्रवृति ब्याज लगाकर भेजे जा रहे जल सीवर बिलों का मामला जोरशोर से उठाया गया। नोएडा फेज एक के सेक्टर 10 के ए, बी और सी ब्लॉक से अमूमन सीवर लाइन के जाम की समस्या बनी रहती है। लगभग एक महीने से सेक्टर-10 सी ब्लॉक में सीवर लाइन जाम की शिकायत की जा रही है परन्तु ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

सीइओ ने अधिकारियों को समस्या के समाधान का निर्देश दिया। इसके अलावा सेक्टर 10 में खुले नाले के कारण हो रहे हादसे की समस्या को प्रमुख्ता से उठाया गया। सीईओ ने नाले को ढकने के निर्देश अधिकारियों को दिए। सेक्टर 10 में अतिक्रमण और बढ़ते स्लम क्षेत्र से बिगड़ रही कानून व्यवस्था की समस्या से एसोसिएशन ने अवगत कराया। सीईओ ने पुलिस अधिकारियों से उद्यमियों की इस समस्या का समाधान करने के लिए कहा। पुराने औद्योगिक सेक्टरों में मरम्मत के नाम पर हो रही बिजली कटौती का मामला भी उठाया गया। एसोसिएशन की तरफ से सीईओ को मांग पत्र भी सौंपा गया। इस मौके पर एसोसिएशन के नोएडा अध्यक्ष शिवकुमार राणा, यमुना एक्सप्रेसवे अध्यक्ष रमेश राठौर, सुभाष शर्मा, अनवर अली, सुबोध कुमार, दीपक मिश्रा, सलीमुद्दीन, कुम्मू जोशी भटनागर, राजेश कठौतिया, राजेश गुप्ता, शहजाद अली, असलम खान, संजय कोचर, हाजी फारुख आदि मोजूद रहे।

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