अप्रैल में रिलीज होगी भारत की पहली लेस्बियन फिल्म

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भारत में पहली बार लेस्बियन लव स्टोरी पर बनी राम गोपाल वर्मा की मोस्ट कॉन्ट्रोवर्शियल फिल्म डेंजरस: खतरा आखिरकार 8 अप्रैल 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार है। वहीं रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘Dangerous: Khatra’ को सेंसर बोर्ड से ए सर्टिफिकेट मिल चुका है। वैसे फिल्म का सब्जेक्ट बेहद बोल्ड है जो समलैंगिक लव स्टोरी पर पूरी तरह आधारित है। यह फिल्म अप्रैल 2022 में रिलीज के लिए तैयार है।


दरअसल, भारत में पहली समलैंगिक प्रेम कहानी पर बनी सबसे विवादित फिल्म डेंजरसः खतरा आखिरकार 8 अप्रैल 2022 को सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है। इसका निर्देशन बॉलीवु़ड के जाने माने निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने किया है। ये फिल्म लंबे समय से अपने बोल्ड सब्जेक्ट और महिला समलैंगिक प्रेम कहानी के लिए सेंसर बोर्ड द्वारा मंजूरी मिलने का इंतजार कर रही थी और अब बोर्ड ने इसे ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया गया है।


राम गोपाल वर्मा ने ट्विटर के जरिए फिल्म के पोस्टर पर रिलीज डेट शेयर कर खुशी जाहिर की है। वहीं हाल ही में एक इंटरव्यू में राम गोपाल वर्मा ने कहा कि “हमने ‘Dangerous: Khatra’ के सेंसर से पास होने के बाद बहुत उम्मीद नहीं की थी क्योंकि यह दो महिलाओं के बीच एक प्रेम कहानी है, लेकिन धारा 377 के निरस्त होने के बाद समलैंगिक संबंध वैध है। ‘Dangerous: Khatra’ पहली भारतीय समलैंगिक फिल्म है जिसे ए सर्टिफिकेट मिलने पर मुझे बहुत खुशी है, अगर इसे ए सर्टिफिकेट नहीं मिला तो मुझे बहुत निराशा होगी। इस फिल्म की कहानी दो महिलाओं के बीच प्यार और उनके समलैंगिक संबंधों पर आधारित है। जो लोग इस पुरुष प्रधान समाज से असंतुष्ट हैं, वे एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं। इस क्राइम थ्रिलर-ड्रामा फिल्म में बेहद बोल्ड और इंटीमेट सीन शूट किए गए हैं। फिल्म में साउथ फिल्मों की हॉट सायरन अप्सरा रानी और नैना गांगुली मुख्य भूमिका में हैं। यह फिल्म 8 अप्रैल को हिंदी और तेलुगू में रिलीज होने वाली है।


जानकारी के अनुसार, आपको बता दें कि दुनिया के बहुत से देशों की तरह 2018 के 15 अगस्ता तक भारत में भी समलैंगिकता अपराध की श्रेणी में आती थी। इसके चलते समलैंगिक लोगों को न सिर्फ सामाजिक रूप से सामने आने में दिक्कंत रहती थी, बल्कि वे कानून की निगाह में भी अपराधी थे. लेकिन सितंबर 2018 में धारा 377 (Section 377) हटाए जाने का फैसला देश भर के लाखों LGBTQIA+ लोगों की ज़िंदगी बदलने वाला फैसला था. इसका मतलब था कि उन्हें आखिरकार संवैधानिक समानता दी गई। इस धारा के निरस्त होने के बाद LGBTQIA+ समुदाय के बीच खुशी का महौल था और अब वे भी अपनी जिंदगी पहले से कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से जीते हैं।

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