आइए जानते है कैसे तैयार होता है बिहार का बजट

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बजट किसी भी सरकार का वह महत्वपूर्ण कार्य है जिससे सरकार अगले एक साल के लिए योजनाए बनाती हैं और योजनाओं पर होने वाले तमाम खर्चों और आमदनी का ब्योरा बनाती है। वहीं बजट के जरिये सरकार यह खाका तैयार करती है कि सरकार को कहां-कहां से कितनी आमदनी हो सकती है, और किन किन मदों में कितना पैसा खर्च किया जा सकता है। बता दें कि बजट बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका वित्त विभाग और योजना विभाग की होती है। खबरों के मुताबिक पता चला है कि बिहार का बजट 28 फरवरी को पेश होने वाला है। इसका इंतजार पूरे बिहारवासियों को है। तो आइये जानते हैं कि बिहार का बजट कैसे तैयार किया जाता है और इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है।


बिहार विधानमंडल में 25 फरवरी को राज्य के उप मुख्यमंत्री एवं सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने 2021-22 का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश कर दी है। अब सब की निगाहें बिहार विधानमंडल में 28 फरवरी को पेश होने वाले बजट पर है। सबकी निगाहें सरकार के पिटारे पर है कि उससे उनके लिए क्या नई घोषणाएं होंगी। इस पहले हम यहां आपको बताएंगे कि हमारी सरकार किन-किन मुद्दों को ध्यान में रख कर हमारा बजट तैयार करती है? इसे तैयार करने में कितना समय लगता है? बजट तैयार करने से लेकर पेश करने तक की पूरी जिम्मेदारी वित्त विभाग की होती है। विभाग की तरफ से बजट की तैयारी लगभग 6 महीने पहले से ही शुरू कर दी जाती है। सबसे पहले वित्त विभाग सभी विभागों को प्रपत्र सौंपता है और इसमें विभागों से उनकी प्राथमिकताएं और जरूरतों की जानकारी मांगी जाती है। सभी विभाग अक्टूबर से नवम्बर तक अगले एक साल की अपनी प्राथमिकताओं को भरकर पत्र सौप देते हैं।


दरअसल, इसके बाद सभी विभाग अपनी पुरानी योजनाओं और शुरू हो रही नयी योजनाओं के खर्च और जरूरतों का ब्योरा योजना विभाग को सौंपता है। योजना विभाग सभी विभागों से आए ब्योरा के बाद तय करता है कि किस योजना के तहत किस विभाग को कितनी राशि दी जानी है। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग एक महीना का समय लगता है। वित्त विभाग तमाम विभागों से मिले प्रस्ताव के बाद सरकार को विभिन्न टैक्स से होने वाले आमदनी का आंकलन करती है। सरकार की ओर से शुरू की गई नए योजनाओं के घोषणाओं में लगने वाले खर्च का भी आकलन करती है। इन्हें ध्यान में रख कर बजट तैयार किया जाता है। बजट तैयार करने में सरकार के नीतियों के अनुसार प्राथमिकताओं का भी ध्यान रखा जाता है। जिन विभाग और क्षेत्र की प्राथमिकता ज्यादा तय की गई हैं उस विभाग में ज्यादा पैसा दिया जाता है। इसके साथ ही सरकार यह भी देखती है कि अलग अलग संसाधनों से सरकार को कितनी आय हो रही है और वह कितना खर्च कर सकती है।
वित्त विभाग बजट तैयार करने से पहले विभिन्न संस्थाओं और विभिन्न क्षेत्र के लोगों से राय मांगता है। व्यापारिक और औद्योगिक संस्थाओं से जुड़े लोगों के साथ अलग से चर्चा की जाती है। इंस्डस्ट्रियल एसोसिएशन, चैंबर ऑफ कॉमर्स, एसोचैम, साहित्यकार, प्रोफेसर, अर्थशास्त्री, बैंकर्स के साथ आम लोगों को भी बुलाकर राय ली जाती है।

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