कोरोना संक्रमण के बाद अकेलेपन का खतरा बढ़ा

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निधि वर्मा। कोरोना महामारी ने हम सभी को अपने घरों में कैद रहने पर मजबूर कर दिया। अब बहुत से लोग अकेले हो गए हैं। ये ऐसे लोग हैं जिन्हें अब अकेले रहना अच्छा लग रहा है। कोरोना संक्रमण के बाद यह समस्या और बढ़ गई है।
अमेरिका में हुए रिसर्च में वैज्ञानिकों ने बताया कि कोरोना के बाद डिजिटल रूप से एक- दूसरे से जुड़ने के बाद भी युवाओं का अकेलापन बढ़कर दोगुना हो गया है। लंबे समय युवाओं का अकेले रहना इंसना के मानसिक और शारीरिक स्वास्थय के लिए भी हानिकारक हो सकता है। दुनिया में पांच में से एक व्यक्ति इस परेशानी का सामना कर रहा हैं। लोग सोशल मीडिया जैसे माध्यम पर पलसे के मुकाबले ज्यादा समय बीता रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद वे अकेलापन महसूस करते हैं।


अमेरिका के सर्जन जनरल डॉ. विवेक मूर्ति ने बताया कि दुनिया में अमेरिका में कोरोना के आने से पहले ही लोग अकेलेपन के कारण परेशान थे। 2018 में हुई एक स्टडी में 57% लोगों ने कहा था कि बह अक्सर खुद को सामाजिक तौर पर अलग महसूस करते हैं। सार्वजनिक कार्यक्रम में भी किसी से मिलना भी उन्हें पसंद नही है।


डॉ. मूर्ति के अनुसार, अकेलेपन का इंसान के स्वास्थय पर बहुत खराब असर पड़ता है। ज्यादा अकेलेपर भी एक तरह की बीमारी का कारण वन सकता है। मौजूदा समय में डायबिटीज की तरह ही अकेलेपन की समस्या बढ़ रही है। अकेले रहने से डिप्रशन, चिंता और नशीली चीजों का सेवन करने जैसे मामलों का खतरा बढ़ जाता है। साथ हा लोगों को कैंसर, अटैक, बीपी हाई और डिमेंशिया जैसी बीमारियां भी हो जाती है। लोगों का सामाजिक लगाव कम हो जाता है। इसके रोज 15 सिगरेट पीने के नुकसान होते हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया कि किसी के अकेलेपन को दूर करने के लिए सबसे अच्छी चीज यह है कि आप उससे बात करें।

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