दिल्ली एयरपोर्ट

दिल्ली एयरपोर्ट

दिल्ली एयरपोर्ट का एक और रनवे आधुनिक तकनीक से लैस हो गया है। अब इस पर भी खराब मौसम में आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर विमानों की आवाजाही संभव होगी। इसे इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम से लैस किया गया है और एलईडी सिस्टम से लैस किया गया है। इसका फायदा यह होगा कि घने कोहरे में भी विमानों को इस रनवे पर आसानी से उतारा जा सकेगा।
ब्रिटिश काल वाले इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के रनवे का पुर्ननिर्माण कार्य पूरा कर इसे एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) को सौंप दिया गया है। आधुनिक तकनीक से लैस इस रनवे पर विमानों की आवाजाही भी शुरू कर दी गई है। द्वितीय विश्व युद्ध में इस्तेमाल होने वाला दिल्ली एयरपोर्ट का रनवे संख्या 09/27 अब आधुनिक तकनीक से लैस हो गया है।
दोबारा बनाए गए रनवे पर अब इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम से भी विमानों को उतारा जा सकेगा। यानी कोहरे की स्थिति में भी जब कम दृश्यता होगी तो विमान को पायलट ऑटो मोड में विमान को उतार सकेंगे। साथ ही जल्दी से इस विमान को टैक्सी-वे की तरफ मोड़ कर दूसरे विमान को संचालित किया जा सकेगा। इससे रनवे पर ट्रैफिक जाम की समस्या से भी निजात मिलेगी।
जीएमआर ग्रुप के आई प्रभाकर राव ने बताया कि अंग्रेजों ने स्वतंत्रता पूर्व 2,816 मीटर लंबे और 60 मीटर चौड़े रनवे का निर्माण किया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया। इसी रनवे का पुर्ननिर्माण कार्य पूरा किया गया है। इसे पॉलिमर संशोधित बिटुमेन से तैयार किया है। ज्यादा ट्रैफिक दबाव व खराब मौसम में भी इस पर विमानों का संचालन हो सकेगा।
रनवे के ही सामने एक नया 3.5 किलोमीटर का टैक्सी-वे भी बनाया है। इससे रनवे ऑक्यूपेंसी टाइम (आरओटी) कम होगा और ट्रैफिक के प्रवाह में सुधार करने में मदद मिलेगी। इसे अगले 20 साल के लिए डिजाइन किया गया है।

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