भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन मानी जाती कालगणना का केंद्र

भगवान महाकाल

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दुनिया में आज घड़ी के कांटों का मानक भले ही ब्रिटेन का ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) या फिर यूनिवर्सल टाइम कोआर्डिनेटेड हों लेकिन हजारों वर्ष पहले भगवान महाकाल की नगरी धर्मधानी उज्जैन कालगणना का केंद्र हुआ करती थी। भगवान श्रीकृष्ण व अर्जुन ने शिप्रा नदी के पूर्वी व उत्तरी तट पर सूर्य मंदिरों की स्थापना की थी। कर्क रेखा के आसपास स्थित इन मंदिरों को समय की गणना का केंद्र माना गया है।

महाकालेश्वर वैदिक शोध संस्थान के निदेशक डा. पीयूष त्रिपाठी ने इस पर शोध किया और बताया कि पूर्व में उज्जैन ही कालगणना का केंद्र था। खगोलविद् भी मानते हैं कि उज्जैन समय के निर्धारण का प्राचीनतम स्थान रहा है।

डा.पीयूष त्रिपाठी ने अपने शोध में स्कंदपुराण के अवंतिखंड के आख्यानों का उल्लेख करते हुए बताया है कि सूर्य समय का सूचक है, ज्ञान का प्रकाश है। संपूर्ण जगत में प्राण का संचार सूर्य की उष्मा से ही होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सखा अर्जुन के साथ उज्जैन में सूर्य मंदिरों की स्थापना कर इस बात को प्रमाणित किया।  

पुरातत्व के जानकार डा. रमण सोलंकी ने बताया कि कालियादेह महल स्थित सूर्य मंदिर का जीर्णोद्धार समय-समय पर राजा- महाराजाओं द्वारा कराया गया। करीब एक हजार वर्ष पूर्व राजा भोज ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। इसके बाद सिंधिया राजवंश ने करीब 200 साल पहले इस मंदिर को संरक्षित किया।  

डा. राजेंद्र प्रकाश गुप्त बताते हैं कि समय, दिन मान की गणना में कर्क रेखा की प्रधानता होती है। उज्जैन में कर्क रेखा पर स्थित प्राचीन धर्मस्थल हजारों वर्ष से कालगणना का केंद्र रहे हैं। पांच हजार साल में कर्क रेखा का स्थान बदल जाता है। वर्तमान में कर्क रेखा का केंद्र बिंदु उज्जैन से 30 किमी दूर ग्राम डोंगला में हो गया है। कर्क रेखा ग्राम डोंगला में अवस्थित है। ग्राम डोंगला भी उज्जैन के महाकाल वन का ही भाग है। वास्तव में समय की गणना का मानक (जीएमटी) नहीं, बल्कि डोंगला मीन टाइम (डीएमटी) होना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बवाला के अनुसार इन मंदिरों में भक्त भगवान सूर्यनारायण का दर्शन व पूजन करते हैं और दुख, दरिद्रता दूर करने क मनोकामना करते हैं। भगवान महाकाल

ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला के अनुसार काल का अर्थ है। समय और गणना का अर्थ है। वह गणित जिसके द्वारा समय का आकलन किया जाता है। इसी को कालगणना कहते हैं। अग्नि पुराण के मतानुसार सूर्य समय की निर्धारित गणना का कारक देवता है। ज्योतिष शास्त्र में इन्हीं को ईस्ट मानकर काल की गणना की जाती है। काल की गणना में 12 विभाग प्रमुख हैं।  भगवान महाकाल

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