बच्चा

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 आपने अक्सर सुना होगा कि बच्चा अंधेरे में जाने से डरता है, मगर पठानकोट जिले के सुजानपुर के रहने वाले नौ वर्षीय सलीम को उजाले से डर लगता है। आंखों में रोशनी किरण पड़ते ही वह तड़पने लगता है। उसका शरीर अकड़ जाता है और दौरे आते हैं। दरअसल सलीम को धनुस्तंभ अर्थात टिटनेस रोग हो गया है। गुज्जरों के डेरे में जन्मे इस बच्चे को बचपन में राष्ट्रीय टीकाकरण प्रोग्राम के तहत टिटनेस सहित एक भी टीका नहीं लगा था। न ही परिवार ने टीकाकरण करवाया और न ही स्वास्थ्य विभाग की एएनएम व आशा वर्करों ने इन्हें प्रेरित किया। इसका दुष्प्रभाव यह हुआ कि अब सलीम की जिंदगी संकट में है। अमृतसर स्थित गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में उसका उपचार किया जा रहा है।

सुजानपुर के निहालपुर के सरकारी स्कूल के निकट गुज्जरों का डेरा है। डेरे में सलीम अपने परिवार के साथ रहता है। विगत बुधवार को अचानक उसका शरीर अकड़ गया। स्वजन उसे स्थानीय अस्पताल ले गए, लेकिन वहां से उसे गुरु नानक देव अस्पताल रेफर कर दिया गया। गंभीर अवस्था में लाए गए बच्चे को बार-बार दौरे आ रहे थे। इलाज के क्रम में दौरे से तो राहत मिली है, पर शरीर की अकड़न कम नहीं हो रही। सलीम को इम्युनोग्लोबुलिन दी जा रही है। यह एक प्रोटीन व एंटी बाडी है, जो शरीर से बैक्टीरिया को नष्ट करने में सहायक होती है। उसे आइसोलेशन में रखा गया है। विशेषज्ञों के अनुसार पंजाब में टिटनेस से पीडि़त बच्चा दस साल बाद रिपोर्ट हुआ है। बहरहाल इस अधिसूचित रोग के संबंध में स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया गया है।

  मामला हमारे ध्यान में आया है। हम जांच कर रहे हैं। खेलते हुए लगी थी चोट एक दिन सलीम खेलते हुए अचानक गिरा था और उसके पैर में चोट लग गई थी। यह जख्म ठीक तो हो गया, पर इसके बाद उसे दौरे आने लगे। शरीर अकड़ने लगा। जख्म होने पर स्वजनों ने टिटनेस का टीका नहीं लगवाया था। नतीजतन उसकी हालत बिगड़ गई। यह है टिटनेस रोग एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है। यह मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया के शरीर में पहुंचने से होता है। आमतौर पर जख्म होने की सूरत में बैक्टीरिया आसानी से शरीर में चला जाता है। यदि इंजेक्शन लगा हो तो बैक्टीरिया शरीर में पहुंचते ही नष्ट हो जाता है।

गुज्जरों के डेरों में इस बैक्टीरिया की संभावना अधिक रहती है, क्योंकि वहां कीचड़ व मिट्टी आदि होती है। विगत तीस साल से टिटनेस का टीका राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम की सूची में शामिल है। वर्तमान में पेंटावैलेंट वैक्सीन दी जाती है। यह वैक्सीन टिटनेस, डिप्थीरिया, काली खांसी, इंफ्लुएंजा व हैपेटाइटिस बी जैसे पांच प्राणघातक बीमारियों से सुरक्षा कवच प्रदान करती है। जन्म के छह, दस और चौदह सप्ताह की आयु में यह वैक्सीन दी जाती है।

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