श्रावण मास के दूसरे मंगला गौरी व्रत का महत्व, मां पार्वती की पूजा से मिलेगा मनवांछित फल

प्राप्त श्रावण मास के दूसरे मंगलवार को माता मंगला गौरी का व्रत रखने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन का महत्व मां पार्वती से जुड़ा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को मोराकत के नाम से भी जाना जाता है। सावन महीना भगवान शंकर और माता पार्वती को बहुत प्रिय है, इसी कारण के सोमवार का दिन बाबा भोलेनाथ और मंगलवार का दिन माता पार्वती को समर्पित है। ज्योतिष के मुताबिक, मंगल गृह वैवाहिक जीवन में मांगलिक गुणों को दर्शाता है, इससे मांगलिक कुंडली का योग बनता है, जो दंपत्ति के जीवन में ग्रह क्लेश उत्पन्न करता है। मंगलवार का दिन वैवाहिक स्त्रियों के लिए लाभकारी बताया गया है। इस व्रत को करने से मनचाहे वर और संस्कारी पुत्र की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जो स्त्री इस व्रत को रखती है उसके पारिवारिक जीवन में आने वाले हर संकट का हरण होता है। इस दिन स्त्री को नित्य कर्मों से निवृत्त होकर संकल्प करना चाहिए कि मैं संतान, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी व्रत का अनुष्ठान कर रही हूं।

जानें क्या है व्रत की विधि

पूजा को आरंभ करने से पहले चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर आचमनी के साथ माता पार्वती की मूर्ती या फोटो के सामने उत्तरमुख कर पदमासन की अवस्था में बैठ जाएं। इसके साथ आटे का दीपक बनाकर सोलह बत्तियों से दीपोज्ज्वलित करें। पूजन सामग्री में सोलह लड्डू, सोलह फल, सोलह पान, सोलह लौंग, सोलह इलाइची और सोलह श्रंगार को माता पार्वती के सम्मुख रखें। इसके बाद अष्टगंध और चमेली से भोजपत्र पर मंगलागौरी यंत्र बनाएं। यंत्र और मूर्ती को गंगा जल से पवित्र करने के साथ विनियोग, न्यास एंव ध्यान से मंत्रोच्चारण करते हुए माता की पूजा शुरू करें साथ ही इस मंत्र का जाप करें- “कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्।

नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्।।’’

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