कोटा में हो रहे मौत के मातम का क्या है रहस्य

कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत की संख्या लगभग 107 पहुँच गई हैं। नवजात शिशुओं की मौत के सिलसिले ने सरकार को हिला दिया है।

साल 2019 में म्रतक बच्चों की संख्या लगभग 900 से अधिक हो गई है, जिसमें दिसंबर महीना सबसे खतरनाक साबित हुआ है। केवल दिसंबर महीने में ही सौ से अधिक नवजात बच्चों ने अपनी जान गवां दी। 2020 के पहले और दूसरे दिन लगभग सात मासूमों की मौत हुई है। मौत के मातम ने सरकार को हिला कर रख दिया है। जेके लोन अस्पताल के चिकित्साधिकारी ने बताया कि कड़की ठण्ड के कारण निमोनिया, सेप्टीसिमिया और साँस की तकलीफ के चलते बच्चों की मौत हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि समय से पहले हो रहे बच्चों के जन्म और उनमें वजन की कमी होने के कारण इतनी मौतें हो रही हैं। वहीं परिजनों की लापरवाही के कारण भी नवजात शिशुओं की मौत का मातम सामने आया है। स्वास्थ मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि 2017-18 की स्थिति के मुकाबले इस साल सरकार ने काफी सुधार किया है।
चिकित्साधिकारी ने यह भी बताया कि ऑक्सीजन पाइप लाइन न होने के कारण ऑक्सीजन सिलेन्डर से मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही थी। मंत्री ने अस्पताल में ऑक्सीजन लाइन को जल्द ही पहुँचाने की अनुमति दे दी है। केंद्र सरकार ने जेके लोन अस्पताल की जाँच के लिए खास टीम को भेजा हैं, जिसमें जोधपुर एम्स के बाल चिकित्साधिकारी, मंत्रालय के वरिष्ठ निदेशक, निओनेरीलॉजिस्ट और एनएचएसआरसी सलाहकार के द्वारा अस्पताल की जाँच की गई। जाँच के दौरान अस्पताल में खिड़कियां, शीशे और दरवाजे की टूट-फूट भी पाई गई है। जांच टीम ने बताया कि अस्पताल के चिकित्सकों की कमियों और लापरवाही के चलते भी बच्चों की मौते हुई हैं। ऑक्सीजन की पूर्ती सभी शिशुओं तक न पहुँने के कारण भी मौत का मातम सामने आया हैं। अस्पताल में सूअर टहलते नजर आये। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बच्चों की मौंत पर कोई पार्टी सवाल न उठाये। सरकार नवजात की मौतों को लेकर संवेदनशील हैं। वहीं यह भी बताया कि निरोग और स्वस्थ बनाने में राजस्थान सरकार पूरा प्रयास करेगीं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात करते हुए कहा कि चिकित्सा व्यवस्था को व्यापक रूप से पहुँचाने का काम किया जाएगा। ओम बिरला ने कोटा की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा।

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