अयोध्या जमीन खरीद घोटाले में सीएम योगी ने लिया संज्ञान, पूरे मामले की रिपोर्ट तलब
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन पर घोटाले के आरोप के बाद देश में सियासत का पारा चढ़ गया है। विपक्ष लगातार इस मुददे पर ट्रस्ट के पदाधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है। कांग्रेस, सपा और आम आदमी पार्टी ने ट्रस्ट पर जनता का पैसा लुटाने का और हिंदुओं की भावनाओं से विश्वासघात करने का आरोप लगाया है। दो करोड़ की जमीन को 18.5 करोड़ में खरीदने को लेकर अब ट्रस्ट के सदस्य भी सवाल उठाने लगे हैं.
वहीं, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि अगर आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो आरोपियों पर कार्रवाई होगी। इस पूरे विवाद को लेकर उन्होंने तीन ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने वाले रामद्रोही हैं।
इन लोगों को रामलला का जो भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है वह बर्दाश्त नहीं हो रहा। साथ ही उन्होंने कहा कि रामद्रोही राम के भक्तों को उपदेश न दें। दूसरी तरफ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इन आरोपों को एक बार फिर भ्रामक बताया है।उन्होंने आगे कहा, “एक स्क्वायर फीट जमीन की कीमत 1,423 रुपए है, जो मार्केट वैल्यू से काफी कम है. टैक्स को लेकर कोई गड़बड़ी न हो, इसलिए हमने नेट बैंकिंग के जरिए लेन-देन किया।
चंदे चोरी के गंभीर आरोप को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लेते हुए हुए पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने ट्रस्ट और जिला प्रशासन से इस मामले में विस्तृत जानकारी देने को कहा है। आपको बताते है कि क्या है पूरा विवाद सपा के पूर्व विधायक नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे ने आरोप लगाया था कि राम मंदिर के लिए ट्रस्ट ने दो करोड़ की जमीन 18.5 करोड़ रुपए में खरीदी. उन्होंने आरोप लगाया है कि 12,080 वर्ग मीटर की जमीन सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने दो करोड़ में खरीदी थी. इसका बैनामा भी दो करोड़ में हुआ, लेकिन 10 मिनट बाद इसी जमीन को ट्रस्ट ने 18.5 करोड़ रुपए में खरीद लिया।