Roshani Ahirwar(ग्रेटर नोएडा) मालदीव के साथ साथ लक्षद्वीप भी हाल फिलहाल में चर्चा का मुद्दा बना हुआ है। यह वाकया तब शुरू हुआ जब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पोस्ट की गई। अपनी तस्वीरों पर। मालदीव के मंत्रियों ने आपत्तिजनक टिप्पणियां की जिसके बाद मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया गया। यही कारण है कि यह मुद्दा वर्तमान में भी लोगों के बीच बना हुआ है।

भारत अगर मात्र आधे घंटे लेट होता तो लक्षद्वीप हमारा ना होता।

भारत और लक्षद्वीप के संदर्भ में यह बात कही जाती है इस बात के पीछे की वजह क्या है। और कैसे जरूरी है लक्षद्वीप, बताएंगे आपको।

बात थी आजादी के समय की और साल था 1947। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद। अब चुनौती थी आजाद भारत की रियासतों को भारत में मिलने की। यह काम जितना जरूरी था उतना ही मुश्किल भी। लेकिन आजाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने बड़ी ही सूझबूझ के साथ यह दायित्व निभाया। पाकिस्तान जो‌ शुरू से ही जम्मू और कश्मीर रियासत को अपने देश में मिलाना चाहता था। उसकी नजर जब लक्षद्वीप पर गई। तो पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री मुहम्मद अली जिन्ना ने तत्काल एक सैनिक टुकड़ी लक्षद्वीप की ओर रवाना की। सरदार पटेल को जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली। उन्होंने सेना को आदेश दिया कि जल्द से जल्द लक्षद्वीप पर अधिक करे। दोनों देशों की सेना लक्षद्वीप के लिए रवाना हो चुकी थीं। आखिरकार भारत की सेना पहले लक्षद्वीप पहुंची और वहां भारत का झंडा फहरा दिया। थोड़ी ही देर में पाकिस्तान की सेना भी लक्षद्वीप के करीब पहुंच गई। लेकिन जैसे ही उसने भारत का झंडा देखा तो वह वापस लौट आई।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

बौद्ध धर्म की जातक कहानियों में इन द्वीपों का उल्लेख है, जो छठी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान द्वीपों में बौद्ध धर्म के प्रसार का प्रमाण देती हैं। बौद्ध काल की पुरातात्विक खोजें भी उल्लेखनीय हैं, माना जाता है कि बौद्ध काल के दौरान भिक्षु संघमित्रा ने इस द्वीप का दौरा किया था। ये द्वीप लंबे समय से नाविकों के लिए जाने हैं। संगम सुप्पत्तु में चेरों द्वारा द्वीपों पर नियंत्रण का उल्लेख मिलता है । स्थानीय परंपराएं इन द्वीपों पर शुरुआती बसावट का श्रेय केरल के अंतिम चेरा राजा चेरामन पेरुमल के काल को देती हैं। समूह में सबसे पुराने बसे हुए द्वीप अमिनी , कल्पेनी , एंड्रोट , कावारत्ती और अगत्ती हैं।

मध्ययुगीन काल के दौरान हिंद महासागर के व्यापार में इन द्वीपों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। क्योंकि वे प्रमुख व्यापार मार्ग में स्थित थे। जो मध्य पूर्व को मालाबार तट , सीलोन और दक्षिण पूर्व एशिया ( इंडोनेशिया और मलेशिया ) से जोड़ता था।

लक्षद्वीप शब्द आया है। संस्कृत के शब्द ‘लखद्वीप’ से जिसका मतलब होता है हजार टापू। हालांकि वर्तनाम में ये  35 टापू हैं। पहले इनकी संख्या 36 थी। लेकिन एक टापू जलमग्न हो गया।

 1 नवंबर 1956 को, भारतीय राज्यों के पुनर्गठन के दौरान , लक्षद्वीप द्वीपों को मालाबार जिले से अलग कर दिया गया और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था।

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