सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया का है इंतजार, विपक्ष की निगाहें टेनी की कुर्सी पर

विपक्ष

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उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसक कांड के बाद से सियासी बाजार गर्माता जा रहा है।  उसके बाद से विपक्ष हाबी हो गया है कि केंद्र सरकार को आरोपी मंत्री को बर्खास्त कर देना चाहिए। आखिर सवाल है कि वर्तमान सरकार पर कीचड़ उछालने वाला विपक्ष क्या अपनी गलेवान झांक कर देखता है? दरअसल यूपी के कुख्यात माफियाओं को सपा बसपा और कांग्रेस मिलकर शरण दे रही है। कीचड़ उछालने से पहले अपनी पार्टी में अपराधियों का सफाया कर देना चाहिए। विपक्ष ने इस मुद्दे को संसद में उखाड़ दिया। सदन के भीतर औऱ बाहर एक ही शोर है टेनी को इस्तीफा देना चाहिए। हालांकि विपक्ष की हमले का केंद्र सरकार पर अभी कोई असर नहीं हुआ है। फिलहाल सरकार ने इस मामले को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बता दें कि मोदी सरकार अपने मंत्री का इस्तीफा तब तक नहीं लेने वाली, जब तक कि कानून की निगाह में वे आरोपी नहीं बन जाते। वैसे भी चुनाव से पहले मिश्रा के खिलाफ कोई भी ऐक्शन लेना बीजेपी के लिए अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा क्योंकि उस सूरत में ब्राह्मणों की नाराजगी बीजेपी के लिए भारी पड़ सकती है, जो उसके दोबारा सत्ता में आने का स्पीड ब्रेकर बन सकता है।

उल्लेखनीय है, एसआईटी ने अपनी अर्जी में 3 अक्टूबर को हुई चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या की उस घटना को एक ‘‘सोची-समझी साजिश’’ करार दिया है। साथ ही एसआईटी ने मामले में अधिक गंभीर आरोपों को शामिल किए जाने का अनुरोध किया था जिसकी उसे मंजूरी भी मिल गई। इसके बावजूद स्पष्ट कर दें कि मोदी सरकार मंत्री पद से बहिष्कार जब तक नहीं कर सकती है तब तक टेनी पर आरोप साबित न हो जाए। फिलहाल एसआईटी की जांच मुख्य आरोपी की दिशा में बढ़ेगी। यह भी स्पष्ट है कि टेनी से एसआईटी की टीम मंत्री पद पर रहते पूछताछ नहीं कर सकती है। दिल्ली हाई कोर्ट के वकील रवींद्र कुमार ने बताया कि अजय मिश्रा केंद्रीय मंत्री नहीं होते, तो उस घटना के बाद दर्ज हुई एफआईआर में उनका नाम मुख्य अभियुक्त के रूप में होता। एसआईटी जांच में आरोप करने वालों का स्पष्टीकरण अजय मिश्रा पर हो जाता है तो मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट इस पर अग्रिम एक्शन लेगी। गौरतलब है कि एसआईटी की ये जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही है और कमेटी कुछ ऐसी निष्पक्षता से बनाई गई है कि कोई भी गुनहगार कानून के शिकंजे से बच न सके, भले ही वो कितना ही ताकतवर क्यों न हो।

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