लवी फंसवाल। मणिपुर में जातीय हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। अभी भी दोनों संप्रदाय के लोग एक दूसरे के लिए विरोधी बने खड़े हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए, शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली संसद भवन में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक में भाजपा, आप, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, और वाम दलों सहित कई राजनीतिक नेताओं ने भाग लिया।

बता दें कि शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की भयावह स्थिति को देखते हुए, एक सर्वदलीय बैठक बुलाई। जिसमें ज्यादातर सभी पार्टियों के लोग मौजूद रहे। वही बैठक के दौरान समाजवादी पार्टी ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की मांग की। उन्होंने कहा मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए। वहीं शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि पीएम मोदी को मणिपुर के हालात को देखना चाहिए। मणिपुर हिंसा को लेकर हुई सर्वदलीय बैठक के बाद आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि सबने खुले मन से बात की और अपनी राय रखी। वहां के राजनीतिक नेतृत्व में लोगों को विश्वास नहीं है और यह बात सभी विपक्षी दलों ने रखी है। हमने कहा कि जो इंसान प्रशासन चला रहा है उसमें कोई विश्वास नहीं है। अगर आपको शांति बहाल करनी है तो आप ऐसे व्यक्ति के रहते नहीं कर सकते। वहीं डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि हमने मणिपुर को लेकर अपनी चिंताएं रखी हैं। 100 लोग मारे गए हैं और करीब 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं। इस पर सबसे दुखद यह है कि प्रधानमंत्री ने इस पर एक शब्द तक नहीं कहा। वहां की स्थिति का अच्छे से पता लगाने के लिए एक सर्वदलीय दल को मणिपुर भेजना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने अपनी पार्टी की तरफ मांग की है कि एक हफ्ते में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर भेजा जाए। केंद्र सरकार ने अब तक इस मामले की अनदेखी की है। अगर वहां शांति और सद्भाव बहाल करना है तो इस मामले पर ध्यान देना होगा। मणिपुर एक खतरनाक स्थिति में है और केंद्र सरकार बुरी तरह विफल रही है।

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