नहीं मिल रहा लंपी वायरस से छुटकारा, लाखों मवेशी संक्रमित

लंपी वायरस से संक्रमित गाय

लंपी वायरस से संक्रमित गाय

खुशी गुप्ता। देश में लंपी वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। ‘ढेलेदार’ वायरस का कहर कई राज्यों में देखने को मिल रहा है। उत्तर भारत के कई राज्यों में यह बीमारी जानवरों में देखने को मिल रही है।

साल 2019 में भी लंपी वायरस का कहर भारत में देखने को मिला था। इस साल लंपी वायरस की गुजरात में देखने को मिला और देखते ही देखते कई राज्य इसकी चपेट में आते चले गए। इस बीमारी के कारण कई लाख जानवर इसकी चपेट में आ चुके हैं और हजारों मवेशियों की जान चली गई।

क्या है लंपी स्किन वायरस

यूरोपीय खाघ सुरक्षा प्राधिकरण के तहत लंपी स्किन रोग एक वायरल रोग है जो मवेशियों को प्रभावित करता है और मक्खियों और मच्छरों, या टिक्कों जैसे रक्त-पान करने वाले कीड़ो से फैलता है। एलएसडी  लंपी स्किन वायरस से फैलता है। लंपी स्किन वायरस को गांठदार त्वचा रोग भी कहते है।

लंपी स्किन वायरस लक्षण

लंपी स्किन वायरस के प्रमुख लक्षण पशु को बुखार आना, वजन कम दो जाना, आंखों से पानी टपकना, लार बहना, शरीर पर दाने निकल आना, दूध कम देना और भूख नहीं लगना है। इसके साथ ही उसका शरीर दिन प्रतिदिन और खराब होते जाना।

बचाव लंपी स्किन वायरस से

1-  लंपी रोग से प्रभावित पशुओं को अलग रखें

2-  मक्खी, मच्छर, जूं आदि को मार दें

3-  पशु की मृत्यु पर शव को खुला न छोड़े

4-  पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव करें

5-  इस वायरस के आक्रमंण से ज्यादातर पशुओं की मौत हो जाती है।

6 गाय के संक्रमित होने पर दूसरे पशुओं को उससे अलग रखें।

संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र की सलाह

केंद्रीय मत्सय पालन, पशुपालन और डेयरी मेत्री पुरूषोत्तम रूपालन ने अगस्त में बीमारी पर एक समीक्षा बैठक की ताकि टीकों की उपलब्धता और इसकी रोकथाम के लिए राज्य सरकारों द्वारा की जा रही व्यवस्थाओं की जांच की जा रही है। केंद्र ने इन जिलों रिंग टीकाकरण की सलाह दी है। जहां जानवर पहले से ही लंपी स्किन वायरस से संक्रमित हैं, ताकि अन्य शहरों में इस बीमारी के प्रसार को रोका जा सके।

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