लवी फंसवाल। इजराइल और हमास में तीन हफ्ते से संघर्ष जारी है। इसी बीच गाजा पट्टी में छिपे हमास के लड़ाकों को करने के लिए इजरायली सेना ने जमीनी अभियान शुरू कर दिया है। इस अभियान को शुरू करने से पहले इसराइल ने गुरिल्ला तकनीक का इस्तेमाल किया। इस रणनीति का उपयोग दशकों से हो रहा है। अब हमास के खिलाफ लड़ाई में इजरायल की गुरिल्ला तकनीक फिर से चर्चा में आ गई है।
आपको बता दें कि 7 अक्टूबर को हमास ने इजराइल पर हमला किया था। तब से इजरायल ने गांजा पट्टी में मौजूद हमास के ठिकानों को जड़ से नष्ट करने के लिए कई हवाई हमले किए। इसी के साथ इजरायल की डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने ग़ज़ा में जमीनी हमले की योजना बनाई। शुरुआत में आईडीएफ अपने इस अभियान में सफल नहीं हुई और उसे जमीनी अभियान की यह कार्रवाई टालनी पड़ी। हालांकि कुछ दिनों पहले आईडीएफ ने हर बार पीछे हटने से पहले गाजा में तीन लक्षण और छोटी घुसपैठ की शुरुआत की। इस्राइल की प्रख्यात नौसेना इकाई शायेटेट के 13 नौसैनिक कमांडो ने जमीन के रास्ते दो घुसपैठें कीं। वहीं एक बार समुद्र के रास्ते घुसपैठ की गई।
सूत्रों की माने तो हर एक घुसपैठ के जरिए सीमित संख्या में समास के बुनियादी ढांचों को नष्ट किया गया। इसके जारी इजरायली सेना के हवाई हमले ने कई अअधिक क्षति पहुंचाई है, इसलिए प्रभाव सीमित रहा।
वहीं गोरिल्ला युद्ध की बात करें, तो यह लगभग युद्ध जीतना ही पुराना है। इसका इस्तेमाल हमेशा छोटे या कमजोर पक्ष के द्वारा बड़े या कम सक्रिय पक्ष को रोकने के लिए किया जाता है। चूंकि, हमास ने इजरायल के खिलाफ शहरी इलाकों में मानव ढाल का उपयोग करना शुरू कर दिया है। कहा जा रहा है कि इजराइल को भी समझ में आ गया है कि बड़ी और अधिक शक्तिशाली सेना के होने का मतलब तकनीक में आश्चर्य के तत्व को छोड़ना नहीं है। सीधे शब्दों में कहें तो, गाजा में मौजूद हमास के लड़ाकों को नहीं पता कि आईडीएफ आगे कहां से छलांग लगा सकती है।

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