मानसिक स्वास्थ्य के लिए जिंदा रखना होगा बचपन-एक्सपर्ट

मानसिक स्वास्थ्य के लिए ताजा करना होगा बचपन

मानसिक स्वास्थ्य के लिए ताजा करना होगा बचपन

जीवन की सच्चाई बड़ी कड़वी होती है। जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे व्यक्ति के माइंड में कई सुझाव, आचार-विचार की पराकाष्ठा का जन्म होने लगता है। दरअसल आयु सीमा के बढ़ने पर समझदारी के साथ खुद के फैसले लेने की जिम्मेदारी भी आ जाती है। उस दौरान व्यक्ति अपने बाल्यकाल को भूलने लगता है और समसामायिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने लगता है। बचपन की नटखटता का आनंद कुछ क्षण के लिए मिला उम्र का ग्राफ बढ़ने के साथ बाल्यपन की यादें समाप्त होने लगी। यही कारण है कि आदमी आजकल अधिक डिप्रेशन के शिकार हो रहे है। अक्सर आपने लोगों को सोचते हुए देखा होगा कि अगर ये काम हम करते है तो सामने वालो की भावनाएं कैसी होगी? इससे स्पष्ट होता है कि हमने अपने अंदर के बच्चे को खत्म कर दिया है। जिस वक्त सोचना शुरु किया समझ लो कि आप चिंता की राह पर भटकने लगे है।

हेल्थ एक्सपर्ट डॉ करिश्मा आहूजा ने बताया कि हमारे बड़े होने के साथ ही हम लाइफ के गंभीर हिस्से में आ जाते हैं। इसी कारण हम सहज होना और मजे करना भूल जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने भीतर के बच्चे को जीवित (keeping the inner child alive) रखना हमारी सेहत के लिए कितना जरूरी है ?

उन्होंने कुछ सुझाव बताते हुए कहा कि हर आयु वर्ग के लोगों को सोच के साथ बचपन को नहीं भुलाना चाहिए। इससे मानसिक तनाव से छुटकारा मिल सकता है। बचपन की शरारत तो आपको याद होगी ही जिस वक्त मुझे बगैर चिंता के काम करने की आजादी मिलती थी। बाल्यकाल के नक्शेकदम पर चलकर अपनी जिज्ञासा को चिंता से मुक्त कर सकते है। जब आप ऐसा करते हैं तो अपनी कल्पना का उपयोग आज अपने जीवन में जो हो रहा है, रोकने या हटाने के लिए कर सकते हैं।

एक्सपर्ट ने बच्चे के जीवन के कुछ क्षणों का जिक्र करते हुए कहा कि बचपन जीवन का सबसे अच्छा पल होता है। भले ही पिछला अनुभव न हो लेकिन करने की जिज्ञासा हर समय जागती रहती है। काम गलत होगा या सही बिना सोचे काम को अंजाम दे देता है। उसी तरह आप अपने जीवन में हुई गलतियों को महसूस कर चिंता न करें बल्कि समाधान निकालने का प्रयास जारी रखें। अपने अनुभव को सोचने में व्यस्त न करें क्योंकि सोच प्रबल होने से स्थिति गंभीर होगी और चिंतामुक्त काम को अंजाम देने से आपके स्वास्थ्य में काफी अच्छा प्रभाव पड़ेगा।

जैसे बच्चो में सवाल पूछने की आदत होती है, किसी भी काम को करने से पहले वो सोचता है कि इसको करना सही है या गलत, लेकिन करने के बाद पछतावा नहीं होता। अक्सर बच्चे ये पता लगाने के लिए सवाल पूछते हैं कि चीजें कैसे काम करती हैं? तो आप भी बच्चे की तरह अपनी लाइफ के बारे में जानने के लिए अधिक उत्सुक हों। एक बच्चे की तरह नए विचार बनाएं। अपने आप से या दूसरों से ऐसे सवाल पूछें, जो उन विचारों को उत्पन्न करने में मदद करें, जो आपके लिए नए अनुभवों का माध्यम बनेंगे, हर दिन कुछ नया सीखने का लक्ष्य रखें।

About Post Author

आप चूक गए होंगे