14 जनवरी के साथ हिं कहीं-कहीं 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति मनाई जाएगी

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मकर संक्रांति

मकर संक्रांति

अंकित कुमार तिवारी। हिन्दु धर्म में प्रमुख त्योहारों में से मनाया जाने वाला मकर सक्रांति भी उन्हीं में से एक है। सूर्यदेव से जुड़े त्योहारों को मनाने की परंपरा हिंदू धर्म में है। पौष मास में जब भगवान सूर्य उत्तरायण होकर शीत ऋतु में मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो भास्कर की इस सक्रांति को मकर संक्रांति के रूप में पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे तो मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाई जाती है, लेकिन पिछले कुछ साल से गणनाओं में आए कुछ परिवर्तन के कारण इसे 15 जनवरी को भी मनाया जाने लगा है। इस साल भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है।

देश में मकर संक्रांति की धूम है। इस बार यह त्योहार दो दिन मनाया जा रहा है। 14 जनवरी के साथ की कहीं-कहीं 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति मनाई जाएगी। मकर संक्रांति को स्नान और दान का त्योहार माना गया है। शनिवार को सुबह से पवित्र नदियों में डुबकी का सिलसिला जारी है। वाराणसी में भी भारी संख्या में श्रद्धालु गंगा में स्नान कर रहे हैं। वहीं मकर संक्रांति से ही गंगासागर मेले की शुरुआत हुई है। यहां लोग नागा साधुओं को देखने और उनका आशीर्वाद लेने आ रहे हैं।मकर संक्रांति पर गुजरात में पतंगबाजी का जबरदस्त माहौल होता है। इस बार भी तरह-तरह की पतंगें बाजार में आई हैं। पश्चिम बंगाल: मकर संक्रांति के अवसर पर गंगासागर मेले के दौरान पवित्र डुबकी लगाने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से कई हिंदू भक्त और नागा साधु कोलकाता के बाबू घाट पर एकत्रित हुए। वही वाराणसी सहित देश के कई गंगा घाटों पर श्रद्धालु डुबकी लगा रहे हैं। इस त्योहार को मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण के साथ-साथ धार्मिक मानयताएं भी हैं जैसे की… मकर संक्राति के दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबाकर युध की समाप्ति की घोषणा की थी। इसीलिए मकर संक्राति के दिन को बुराईयों और नकारात्मकता समाप्त करने का दिन भी मानते हैं

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