मिर्ची के बाद नींबू को लगी नजर, आखिर इसकी कीमत ने क्यों खट्टे किए लोगों के दांत

नींबू

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इन दिनों पहली बार नींबू राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है। लोग इसके बारे में तरह तरह की बातें बना रहे हैं। आखिर क्यों नींबू के दाम आसमान पर पहुंच रहें हैं। थोक में भी नींबू के दाम इन दिनों 150 से 250 रुपए किलो देश की अलग अलग मंडी में बने हुए हैं। इसके बढ़ते हुए रूपये को लेकर कहा जा रहा है कि देश में नींबू का उत्पादन काफी कम हुआ है। जिस कारण एक नींबू 7 रूपये से लेकर 15 रुपये तक बिक रहा है।

फुटकर में नींबू के दाम तो 250 से 500 रुपए किलो तक देखे जा रहे हैं। गर्मी के इस मौसम में नींबू के दामों में इस तेजी ने लोगों की शिकंजी का मजा बिगाड़ दिया है। गली-ठेले में मिलने वाला एक ग्लास नींबू पानी अब कोको-कोला से भी महंगा बिक रहा है। सब्जी वालों की भी नींबू की टोकरी पर खास नजर रहती है। कहीं कोई एक नींबू ज्यादा न तुल जाए या कोई सब्जी के साथ फ्री में न ले जाए।कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 3.17 लाख हेक्टेएयर में फैले बगीचों में नींबू की खेती होती है। नींबू के पौधों में साल में तीन बार फूल लगते हैं और इतनी ही बार फल। 45,000 हेक्टौयेर में खेती के साथ आंध्र प्रदेश में देश का सबसे बड़ा नींबू उत्पा।दक राज्य है। इसके अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु में भी नींबू की खेती अच्छीज खासी होती है।


आखिर कम क्यों है नींबू का उत्पादन

लेकिन सवाल यही उठता है कि नींबू का उत्पादन आखिर इस बार कम क्यों है। नींबू कोई सीजन की फसल तो है नहीं कि इसमें सीजन की तरह कमी-बेशी उत्पादन में होती हो। नींबू के पेड़ एक बार लगने के बाद सालों-साल फल देते रहते हैं। लेकिन इस बार क्या पेड़ अचानक सूख गए हैं या फिर उनमें फल नहीं आए हैं। किसानों ने बताया कि पेड़ सूखने जैसी कोई समस्या नहीं है। आखिर नींबू की कीमत इतनी ज्यासदा क्योंह हो गई है। इसके एक नहीं, कई कारण हैं। बस बारे में हमने कृषि विज्ञान केंद्र आजमगढ़ में फसल मामलों के जानकार आरपी सिंह ने बात की। वे कहते हैं, ‘देश भर में पिछले साल मानसून बहुत अच्छा था। लेकिन सितंबर और अक्टूबर के महीने में बहुतबार‍िश हुई और ज्या दा बार‍िश से नींबू के बाग को नुकसान पहुंचता है। ज्याईदा बार‍िश की वजह से पौधों में फूल ही नहीं आए। इस फसल को आमतौर पर कोल्डन स्टोतरेज में रखा जाता है। लेकिन जब फूल नहीं आए तो जाहिर सी बात है कृषि उत्पाादन प्रभावित हुआ। यही नींबू कोल्डल स्टोसर में रखा होता तो कीमत इतनी ज्यादा नहीं होती।’

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