हिमाचल में भी यूपी और उत्तराखंड जैसा इतिहास दोहराने की कोशिश में बीजेपी

हिमाचल में भी यूपी और उत्तराखंड जैसा इतिहास दोहराने की कोशिश में बीजेपी

हिमाचल में भी यूपी और उत्तराखंड जैसा इतिहास दोहराने की कोशिश में बीजेपी

छाया सिंह। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग ने बीते कुछ ही दिनों ही में हिमाचल में चुनाव की तारीख को घोषित कर दिया है। हिमाचल में 12 नवंबर को एक चुनाव होगा और 8 दिसंबर को इसके नतीजे आएंगे। इसी बीच भाजपा सरकार ने हिमाचल में रिवाज को बदलने के लिए प्रदेश में दोबारा अपनी सरकार बनाने के लिए खूब पसीना बहा रही हैं। यानी दिन रात मेहनत कर रही है, पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह छह बार प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके है। और फिर से एक बार अपनी सरकार बनाने के लिए चुनाव की तैयारियों में अपनी पूरी ताकत लगा दी है। लेकिन प्रदेश की जनता के आगे उनकी एक भी नहीं चली, जिस वजह से हिमाचल की भाजपा पार्टी को अपने लिए एक उम्मीद की किरण नजर आ रही है।

कुछ इस प्रकार होगें चुनाव के मुद्दे

विधानसभा के चुनाव में महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा व कुछ पुरानी पेंशन योजना मुद्दे के बारे में बात होगी। भले ही प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के कई सारे गुट अलग-अलग जगह बंटे हैं, लेकिन वह 10 माह पहले हुए तीन विधानसभा व संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव की टक्कर दे सकती है। उपचुनाव में कांग्रेस ने महंगाई व बेरोजगारी को जनता के बीच जिस तरह भुनाया था। एक बार फिर से कांग्रेस सरकार उसी तैयारी में है। मतदाताओं को प्रलोभन कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा निर्वाचन आयोग व सीईसी ने कहा, कि हिमाचल में विधानसभा चुनाव के मतदाताओं को प्रलोभन देना व राजनीतिक दलों व उम्मीदवारों को ऐसी घोषणा या वादे करने का कोई अधिकार नहीं हैं। जिससे प्रदेश की जनता पर प्रभाव पड़े, मतदाता जिसे पार्टी को चाहें उसे वोट दे सकती हैं।

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