दीपक झा। शनिवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक दिल्ली में हुई। जिसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, दिल्ली सीएम के सीएम अरविंद केजरीवाल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूद थे। किनारा इसके साथ ही कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए। आपको बता दें तो शनिवार को 8 वीं नीति आयोग की बैठक हुई। जिसको लेकर सियासत तेज है, आपको बता दें तो विपक्षी दलों के मुख्यमंत्री इस बैठक में शामिल नहीं हुए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर रहते हैं। जब से केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अध्यादेश से पलटा है, तभी से वो लगातार पूरे विपक्ष को एक करने में लगे हुए हैं। उन्होंने शनिवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव से मुलाकात की, और समर्थन मांगा। चंद्रशेखर राव से मुलाकात खत्म होते ही उन्हें ट्विट में लिखा, मोदी सरकार ने अपने काले अध्यादेश से माननीय सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला पलट दिया। दिल्लीवासियों के अधिकार छीन लिए। इस पर बात करने के लिए आज हैदराबाद में तेलंगाना के मुख्यमंत्री श्री के. चंद्रशेखर राव जी से मुलाक़ात हुई। देशभर में बढ़ रही बीजेपी की तानाशाही पर बात हुई। उन्होंने भरोसा दिया कि संसद में जब मोदी सरकार ये काला अध्यादेश पेश करेगी। तब भारत राष्ट्र समिति दिल्ली की जनता के साथ खड़ी होगी। इसके लिए मैं दिल्ली की जनता की तरफ़ से श्री के. चंद्रशेखर राव जी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। हालांकि केजरीवाल ने पहले ही चिट्ठी लिखकर विरोध जताया, उन्होंने कहा कि अध्यादेश लाकर कोऑपरेटिव फेडरलिज्म का मजाक बनाया जा रहा है। ऐसे में नीति आयोग की बैठक में शामिल होने का कोई मतलब नहीं रह जाता। ऐसी बैठक में नहीं जाना चाहिएचाहिए। इसलिए बैठक का बहिष्कार कर रहे हैं। विरोध कर रहे मुख्यमंत्रियों का कहना वहां सुना नहीं जाता। ऐसे में ऐसे बैठक का किया फायदा इसलिए वो विरोध कर रहे हैं। बीजेपी के अधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह ट्विट किया – नीति आयोग की इस बैठक के लिए 100 मुद्दे तय किए गए हैं। अब जो मुख्यमंत्री नहीं आए हैं, वो अपने प्रदेश की जनता की आवाज यहां तक नहीं ला रहे हैं। क्या उन लोगों को लाभ नहीं मिलना चाहिए? मोदी विरोध में आप (विपक्ष) कहां तक जाएंगे?

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