सपा का नया फॉर्मूला, जीत के बाद कर सकते है 6 डिप्टी सीएम का चयन

उत्तर प्रदेश में आगामी 2022 के विधान सभा चुनाव में पार्टियां पूरी मजबूती के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। चुनाव में जातीय, सामुदायिक औऱ जेसीबी समेत विकास व अपराध के मुद्दे अपनाए जा रहे है। इसमें जाति और धर्म को खासा महत्व दिया जा रहा है। विश्लेषकों के मुताबिक जीत और हार को ब्राह्मण और अति पिछड़ा वर्ग से जोड़कर देखा जा रहा है। सपा, बसपा और दलित पार्टी ब्राह्मण को जोड़ने मे लगी है। सूत्रों के मुताबिक, सपा मुखिया इस बार नया फॉर्मूला लेकर चुनावी मैदान में उतर सकते है। सपा के फॉर्मूले में बताया गया कि जीत के बाद 6 डिप्टी सीएम का चयन किया जा सकता है। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। जानकारी में बताया गया कि बहुत जल्द सपा मुखिया अखिलेश यादव घोषणा पत्र में डिप्टी सीएम के चयन का वादा कर सकते है। इसमें दलित, मुस्लिम, ब्राह्मण औऱ अन्य पिछड़ा वर्ग के डिप्टी सीएम शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी में सपा अध्यक्ष संसदीय बोर्ड के पदाधिकारियों से इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। इस चर्चा में सबसे अधिक ओबीसी और एमबीसी पर फोकस दिया गया है। इससे पहले बसपा सुप्रीमों मायावती ने ऐलान किया था कि बसपा पार्टी किसी भी माफिया और बाहुबली को टिकट नहीं देगी। सुप्रीमों ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि बसपा शांति प्रिये जनसेवकों को टिकट देगी जबकि बाहुबली और माफियाओं की पार्टी में कोई जगह नहीं है।
इसी कड़ी में आजमगढ़ की मऊ विधानसभा से मुख्तार अंसारी का नाम खारिज करने के बाद स्टेट अध्यक्ष भीम राजभर का नाम फाइनल किया गया है। दरअसल यूपी में सियासत की जंग काफी गंभीरता से लड़ी जा रही है। इधर बीजेपी अपना दांव लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। विपक्षीय पार्टियों का एकमत उद्देश्य बीजेपी को हराने का है। ज्ञात हो कि यूपी में चुनावी नइया चाणक्य नीति के आधार पर चलाई जा रही है। दो दिन पहले राजनीति में एक बड़ा खेल उजागर हुआ है। दरअसल निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद और सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का एक टीवी चैनल की खूफिया रिपोर्टिंग टीम ने पर्दाफाश किया था। राजनीति के बड़े चेहरे होने की वजह से यूपी में हलचल मच गई। राजभर और निषाद के स्टिंग ऑपरेशन में सियासत का कड़वा सच बाहर आ गया। नेताओं में सामने का माहौल और आंतरिक माहौल में काफी बड़ा अंतर समझने का अवसर मिल गया है। जनता इस बात से काफी सतर्क हो चुकी है और अब आगामी चुनाव में सूझ-बूझ के साथ मतदान करेगी।

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