केंद्र सरकार

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 15 दिसंबर 2020 को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत की घर वापसी हुई थी। दरअसल किसान आदोंलन का शुरुआती उद्देश्य तीन कृषि कानून को वापस लेने पर टिकी थी। आदोंलन नवंबर 2020 से दिसंबर 2021 तक चला। किसानों की हठ के सामने केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी। कहा जाता है कि व्यक्ति जब कलाई जकड़ लेता है तो जाहिर सी बात है कि वो शरीर को बंधक बनाने में देर नहीं करता। वहीं हाल केंद्र सरकार का हुआ, कृषि कानून वापस होने के बाद किसानो ने आंदोलन समाप्त करने के लिए 6 मांगों को पेश कर दिया। किसानों की प्रमुक 6 मांगो में पहली मांग एमएसपी गारंटी कानून, किसानों पर लगे केस वापस हो, किसानों के नुकासान की भरपाई, बिजली बिल नियंत्रण, पराली जलाने पर कार्रवाई नहीं और अंतिम लखीमपुर खीरी हिंसक झड़प में आरोपित गृह राज्य मंत्री आशीष मिश्रा के बेटे की संलिप्ता के कारण पद से बर्खास्तगी। सरकार ने भरोसा दिलाते हुए कहा कि किसानों की इन मांगो पर विचार किया जाएगा। किसानों को भरोसा दिलाते हुए घर वापसी का आग्रह किया। 9 दिसंबर को किसान नेता टिकैत ने कहा कि किसानों की घर वापसी का मतलब आंदोलन समाप्त नहीं है, सरकार वादे से मुकरती है तो इस बार आंदोलन की क्षवि देखने काबिल होगी। जानकारी के अनुसार सरकार ने जनवरी में निस्तारण करने का समय निर्धारित किया था।

हाल ही में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के रद्द होने को किसानों की ऐतिहासिक जीत करार देते हुए रविवार को कहा कि केंद्र सरकार को प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने के संबंध में ईमानदारी से काम करना होगा। उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी रूप देना होगा।  

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