नागरिक पत्रकारिता और उसका उत्तरदायित्व

पत्रकारिता

आधुनिक काल खंड में नागरिक पत्रकारिता का स्तर काफी प्रभावशाली होता जा रहा है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अलावा आज जिसकी सबसे अधिक छाप अधिकांश समाज पर पड़ती दिखाई दे रही है वह है सोशल मीडिया। सोशल मीडिया का इस्तेमाल लोग पत्रकारिता की एक नई विधा के लिए करते हैं जिसको हम मोजो जर्नलिज्म के नाम से जानते हैं।


नागिरक पत्रकारिता का सरोकार सोशल मीडिया के माध्यम से प्रभावित हुआ है। देश और दुनिया के प्रत्येक क्षेत्र में नागरिक पत्रकारिता का समावेश देखने को मिल जाएगा। वर्तमान में समाज अपने आस-पास होने वाली घटनाओं और परिवर्तनों को स्वंय देखने के साथ-साथ प्रसारित करने का अभ्यस्त होता जा रहा है। इसके लिए मोजो जर्नलिज्म का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। इसके तहत लोग अपने आस-पास घट रही घटनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं।


मीडिया की टीआरपी वाली संस्कृति और ब्रेकिंग न्यूज शैली ने आम आदमी के जीवन को उदासीन कर दिया है। आजकल साहित्यिक पत्रकारिता का अस्तित्व कम हो गया है। सोशल मीडिया में नागरिक पत्रकारिता का वर्चस्व हर जगह देखने को मिल रहा है। जिसकी सबसे वड़ी वजह है कि आजकल फेक जानकारी लोगों को काफी ज्यादा प्रभावित कर रही है। इससे आम आदमी के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। खबर की वस्तुनिष्ठता समाप्त होती दिख रही है। मीडिया के स्वरूप को जिस आईने से देखा जाता था, आज वो आईना धुंधला पड़ता नजर आ रहा है।


देश की हकीकत को दर्शाने का एकमात्र साधन पत्रकारिता को ही माना जाता है। समाज का हर एक तबका मीडिया से जुड़ा होता है। सोशल मीडिया के माध्यम से तेजी से फैलने वाली भ्रामक खबरों ने मीडिया के स्वरूप पर बदनुमा दाग लगा दिया है। जिसका प्रभाव आज चारों तरफ देखने और सुनने को मिल रहा है। आज के दौर में पत्रकारिता को व्यापार के नजरिए से देखने वाले इसकी विश्वसनीयता को संकट में डाल रहे हैं।


मालूम हो, नागरिक पत्रकारिता को तीव्रता से उड़ान भरने का अवसर तो मिल रहा, लेकिन विश्वसनीयता के मायने सवालों के घेरे में पड़े हुए है। इसका कारण तथ्य, स्पष्टता, संतुलन, वस्तुगत, व्यक्तिगत, भ्रामकता, के संदर्भों पर प्रकाश का परिपक्व ही है। उदाहरणतया, किसी बच्चे के लालन-पालन में असली मां और सौतेली मां का फर्क साफ समझ आता है ठीक वैसे ही पत्रकारिता को यदि कोई इसके बाहर का व्यक्ति करके दिखाता है तो उसमें त्रुटियां हो सकती हैं।


इसी तरह बिना संपादक के कोई खबर का स्पष्टीकरण करना गैर जिम्मेदाराना सकता है। इस तरह की खबरों का सारांश संदेहात्मक होता है। किसी भी खबर की पुष्टी तथ्यों और स्पष्टता से की जा सकती है। आजकल की पत्रकारिता का यही हाल बना हुआ है।
वर्तमान समय में नागरिक पत्रकारिता पर सरकार को फोकस करने के साथ-साथ इसके लिए नियमों को तय करना चाहिए जिससे लोग एक दायरे में रहकर खबरों और जानकारियों को प्रकाशित कर सकें। इससे आने वाले समय में सकारात्मक पत्रकारिता का घनत्व बढ़ने की संभावना हमेशा बनी रहेगी। नागरिक पत्रकारिता संविधान के अनुसार जिम्मेदारी को दर्शाता है।

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