तालिबान से भारत की पहली औपचारिक वार्ता

तालिबानियों के सत्ता हस्तांतरण के तरीके ने दुनिया में खौफ का माहौल पैदा कर दिया है। अमेरिकियों के काबुल से जाने के बाद आंतकियों की बर्बरता को स्पष्ट देखा गया है। अमेरिकी सैन्य बल के एयरपोर्ट से निकलते ही तालिबानियों ने जश्न के साथ सजाए मौत का फरमान सुनाना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक कतर की राजधानी दोहा में भारत के राजदूत की तालिबानियों के एक्सपर्ट से मुलाकात हुई। भारत और तालिबान के बीच ये पहली औपचारिक मुलाकात है।
जानकारी के अनुसार भारत के राजदूत दीपक मित्तल और दोहा के राजनीतिक एक्सपर्ट मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई के बीच हुई मुलाकात में अफागनिस्तान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने की चर्चा की गई। वहीं भारत ने कहा कि अफगानिस्तान की जमींन पर आतंकियों की क्रूरता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि इस मुलाकात का आमंत्रण तालिबान ने भारत को दिया था। इस मुलाकात को भारत के राजदूत ने सार्वजनिक किया है। मुलाकात के बाद सवाल उठ रहा है कि, क्या भारत तालिबान को सत्ता कि मान्यता देगा। जबकि तालिबान पाकिस्तान को दूसरा घर बता चुका है। खबरों के मुताबिक, शेर मोहम्मद अब्बास तालिबान शासन के विदेश मंत्री बन सकते है। इन्होंने देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी में ट्रेनिंग ली थी। कयास ये लगाया जा रहा है कि अब्बास के भारत से रिश्ते आगे काम आ सकते है।
अफगानिस्तान संकट के दौर में एक्सपर्ट ने बताया कि भारत दो बड़ी गलती कर गया है, जिनमें सबसे पहली गलती कि अमेरिका को अपना सरक्षंक बनाया, जो भगौड़ों में शामिल है। दूसरी गलती अमेरिका पर भरात का आत्म विश्वास इतना गहरा है कि वो कभी भी बीच मझधार में छोड़ सकता है। भारत ने यूएस के मुताबिक अपना दांव लगाया, ये सबसे बड़ी भूल है।
हाल ही में मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगान में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए एक स्पेशल टीम का गठन किया है। वो ग्रुप तालिबान की क्रूरता पर भी नजर रखेंगा साथ ही नागरिकों को सही सलामत वापस पहुंचाएगा। इस मामले को लेकर पीएम मोदी ने जर्मनी की चांसलर एंजेला से फोन पर बात की है।

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