लवी फंसवाल। इस साल अधिकमास के कारण हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन सहित कई व्रत त्यौहार देर से शुरू हो रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। रक्षाबंधन एक ऐसा पर्व है, जो एक अटूट प्रेम के प्रतीक है। इस दिन मैंने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं। भाई भी बहन को बदले में सुरक्षा का वचन देते हैं। मुहूर्त शास्त्र के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार हमेशा भद्रा रहित काल में मनाना शुभ होता है। यदि रक्षाबंधन के दिन भद्रा होती है तो ऐसे में बहनों को अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधनी चाहिए। भादरा की समाप्ति के बाद ही राखी बांधनी चाहिए। इस बार रक्षाबंधन की तारीख को लेकर कुछ मतभेद है। दरअसल, इस बार सावन मास की पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहने के कारण 30 और 31 को रक्षाबंधन मनाने में संकोच हो रहा है।

रक्षाबंधन पर्व को भाई-बहन के प्रेम और सदभाव के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है इसके बदले में भाई बहन को भेंट देता है एवं सदैव उसकी रक्षा करने का वचन भी देता है।अच्छे मुहूर्त अथवा भद्रारहित काल में भाई की कलाई में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है।
इस बार 30 तारीख सुबह से ही भद्रा लग जाएगी और जब भद्रा लगती है तो उसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। भद्रा रात के 9:30 पर खत्म होगी इसलिए इस दिन राखी बांधना शुभ नहीं रहेगा।
शुभ मुहूर्त शास्त्र के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि और अपराह्र काल यानी दोपहर के समय भद्रा रहित काल में मनाना शुभ होता है। लेकिन इस वर्ष 30 अगस्त को पूरे दिन भद्रा रहेगी। भद्रा में राखी बांधना अशुभ होता है। ऐसे में 30 अगस्त 2023 को रात 09 बजकर 03 मिनट के बाद राखी बांधी जा सकती है। वहीं 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 7 मिनट से पहले राखी बांध सकते हैं।

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