इंडिया गठबंधन के संयोजक नहीं बनने पर, बीजेपी का तंज कहा नीतीश कुमार के सपनों पर पानी फेर दिया लाल यादव ने

दीपक झा। पिछले कुछ महीनों से विपक्ष लगातार एक होने का दावा कर रहा है, तो वहीं भाजपा लगातार विपक्षी एकता को ढोंग और उसमें कई दरारे बता रही है। 2024 लोकसभा के चुनाव के मद्देनजर नीतीश कुमार पिछले कुछ महीनों से समूचे विपक्ष को एक करने में लगे हुए हैं। वह लगातार 121 पार्टी के नेताओं से मुलाकात कर विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए मनाने में लगे थे, तो वही कयास लगाए जा रहे थे, विपक्ष के पीएम चेहरा के तौर पर वह होंगे, लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया और कहा कि मुझे प्रधानमंत्री बनने में कोई दिलचस्पी नहीं है। 22 जून को जब विपक्षी पार्टियों के साथ पटना में बैठक की, जिसमे मुख्य चेहरा नितीश कुमार थे। ऐसा लग रहा था कि विपक्षी एकता में उन्होंने जो अपना योगदान दिया है। उसके मद्देनजर उनको विपक्ष का संयोजक बनाया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ 28 अगस्त सोमवार को नीतीश कुमार ने खंडन कर दिया कि वह संयोजक नहीं बनेंगे। आपको बता दे तो बेंगलुरु में जब विपक्षी दलों का मंच तैयार हुआ। जिसमें करीब 26 पार्टियों ने स्थिर किया तो उसमें विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम यूपीए से बदलकर इंडिया रख दिया।

इसको लेकर भाजपा ने नीतीश कुमार पर तंज किया है, और साथ में कहा है कि लालू यादव ने उनके साथ खेल कर दिया है, और उनके सपनों पर पानी फेर दिया है। 22 जून को जब विपक्षी दलों का गत एक साथ एक मंच पर बैठा था, जब प्रेस कॉन्फ्रेंस हो रही थी। उस वक्त आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नाराज रहे और नाराज होकर उन्होंने अपना बयान जारी की। जिसमें उन्होंने कांग्रेस के लिए नाराजगी जताई खैर यह सब होने के बावजूद लाल यादव ने जब प्रेस को संबोधित किया। उस वक्त उन्होंने मजाक की मजाक में राहुल गाँधी के दूल्हा बनने की पेसकस कर डाली। इसके बाद राजनीतिक विशेषज्ञ यह मानने लगे हो सकता है, 2024 में विपक्ष के चेहरा के तौर पर राहुल गांधी को आगे किया जाए। वैसे विपक्ष में सबसे प्रमुख चेहरा राहुल गांधी है। ऐसे में नीतीश कुमार क्या करेंगे और उनका क्या रोल होगा यह देखना दिलचस्प होगा। 31 अगस्त और 1 सितंबर को होने वाले महाराष्ट्र चुनाव में जिसकी अगवाई उद्धव ठाकरे कर रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि उसमें किसका रोल क्या होता है, और कौन से नेता क्या बनते हैं। सीटों पर सहमति बन पाती है या नहीं, मुद्दों पर एक हो पाते हैं या नहीं, सरकार को घेरने के लिए क्या रणनीति बनाते हैं। यह 31 अगस्त और 1 सितंबर को पता चल जाएगा।

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