वायु प्रदूषण पर वैज्ञानिकों ने किया शोध, एयर क्वालिटी इंडेक्स की हुई पुष्टि

वायु प्रदूषण की चपेट में दिल्ली, वैज्ञानिको ने किया शोध

वायु प्रदूषण की चपेट में दिल्ली, वैज्ञानिको ने किया शोध

हवा की क्वालिटी को मापने के लिए एयर क्लालिटी  इंडेक्स यानि AQI का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा हवा कि जहरीले कीटाणुओं व तत्वों को समझने के लिए पीएम10 और पीएम 2.5 का प्रयोग होता है। हाल ही दिल्ली के वायु प्रदूषण को मापा गया तो एयर क्वालिटी इंडेक्स 300-422 के बीच में पहुंच गया है। दीवाली के बाद इसका प्रभाव तीन गुना बढ़ा है। जो बढ़कर 900 के लगभग हो गया है।

मालूम हो, एयर क्वालिटी इंडेक्स हवा की गुणवत्ता का पता लगाने में सफल यंत्र है। आधुनिक काल खंड में एयर क्वालिटी इंडेक्स का इस्तेमाल देश के हर क्षेत्र में होने लगा है। इसको मिनिस्ट्री फ एनवायरमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट चेंज ने लॉन्च किया है। एयर क्वालिटी इंडेक्स को 6 कैटेगरी में विभाजित किया गया है। जिसमें प्रथम 0-50 शुद्ध वातावरण का आभास करवाता है।

दूसरा 51-100 के बीच मध्यम शुद्ध वातावरण, तीसरा 101-200 गिरती स्तर, चौथा 201-300 जहरीला प्रकोप की शुरुआत, पांचवा 301-400 मानव जीवन पर गहरा असर डालने वाला। इसके अलावा छठवां 401-500 बेहद खराब जो मानव जीवन को संकट के घेरे में खड़ा कर देती है।

पीएम लेवल के माध्यम से 8 प्रकार में बताए गए है जिनमें पीएम1.0,पीएम2.5, एनओ2,एसओ2, सीओ2, ओ3, एनएच3पीबी होते है। 24 घंटो में हवा के कारकों का पता लगाया जाता है। SO2 का मतलब सल्फर ऑक्साइड, CO2 यानि कार्बन ऑक्साइड रंगीन होता है, NO2 का मतलब नाइट्रोजन ऑक्साइड, NH3 कृषि प्रक्रिया से उत्सर्जित अमोनिया और O3 मतलब ओजोन का उत्सर्जन विश्लेषित किया गया है, जिनके द्वारा वायु गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगाया जा सकता है।

पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला बारीक पदार्थ है, जो शुद्ध हवा को जहरीले रूप में परिवर्तित करने में सहायक होता है।पीएम 10 को पर्टिकुलेट मैटर  कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास होता है। पीएम 10 का सामान्‍य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्‍यूबिक मीटर होना चाहिए।

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