आगामी लोकसभा चुनाव के लिए मायावती ने किया मंथन, किसको झटका देने की तैयारी!

दीपक झा। कुछ ही दिन बचे हैं, आगामी लोकसभा चुनाव के लिए। ऐसे में सभी पार्टियां तैयारियों में जुट चुकी हैं। कोई दलित कार्ड खेलने में लगा है। कोई मुस्लिम हिंदू को रिझाने में लगा है। सभी पार्टी अपने-अपने राजनीति के हिसाब से तैयारी कर रही हैं। अपने वोटर के हिसाब से उसका जनाधार आखिर है क्या? आपको बता दें तो 2024 में जो लोकसभा का चुनाव होगा, वह दिलचस्प होने वाला है। दरअसल, विपक्ष एक तरफ दावा करता है कि वह एक हैं, तो वहीं एनडीए भी दावा करता है कि 300 से ज्यादा सीट इस बार फिर से लाएगी, और तीसरी बार सरकार बनाएगी। 2014 में बीजेपी ने सरकार बनाई पूर्ण बहुमत की, तो वहीं 2019 में भी उनका चेहरा दोहराया है। इस बार भी उसी चेहरे पर बीजेपी वाले एनडीए लड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी फिर से जनता के बीच जाएगी, और 10 सालों के दरमियान हुए कार्यों को जनता को बताएगी, तो वहीं विपक्ष अब जो है एक है, और ऐसे में क्या विपक्षी एकता को तोड़ने के लिए या यूं कहें विपक्षी एकता में मायावती फूट पैदा कर सकती हैं। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने आज लखनऊ में बैठक की, तो उसमें एक बार भी उन्होंने विपक्षी महागठबंधन को लेकर कोई चर्चा नहीं की। अब ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं, कि क्या मायावती अलग राह चुनेंगी या एनडीए के साथ जायेंगी। यह कहना मुश्किल है। लेकिन जैसे-जैसे समीकरण बन रहे हैं, 22 जून को 15 से ज्यादा विपक्षी दलों ने पटना में एक साथ एक मंच पर आकर अपनी मजबूती का प्रमाण दिया था। वहीं दूसरी मीटिंग बेंगलुरु में 17 से 18 जुलाई तक होनी है, तो क्या इसमें मायावती की पार्टी बीएसपी नजर आएगी। हालांकि, उस बैठक में एक टूट भी देखने को नजर आया। उसमें केजरीवाल और आम आदमी पार्टी प्रेस एक साथ एक मंच पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए। बाद में बसा कयासों का बाजार लगने लगा, कि केजरीवाल अध्यादेश पर कांग्रेस की हामी चाहते हैं और हुआ वैसे ही। जब आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल दिल्ली पहुंचे। आम आदमी पार्टी के मीडिया हैंडल से यह जवाब आया कि जब तक कांग्रेस अध्यादेश पर नहीं करती। तब तक हम किसी भी ऐसी बैठक में नहीं शामिल होंगे। जिसमें कांग्रेस होगी। आज जब मायावती ने बैठक की, तो उसमें उन्होंने अपने नेताओं से कहा कि कैसे अपने जनाधार को वापस लिया जाए। कैसे दलित वंचित पीड़ित आदिवासियों उनके लिए काम किया जाए। इस पर हमें ध्यान देने की जरूरत है। हाल के दिनों में उन्होंने पंजाब, हरियाणा ऐसे राज्यों के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की थी। सबसे जरूरी है कि क्या सच में मायावती अलग राह चुनेंगी, एनडीए या यूपीए का हिस्सा बनेगी।

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