सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर सरकार के प्रतिबंध

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निधि वर्मा। देश में सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में आने वाले कई उत्पादों पर रोक लगा दी गई है। वैसे तो सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगा यह प्रतिबंध कुल प्रयोग होने वाले प्लास्टिक की तुलना में बहुत कम है, लेकिन इस संकट से निपटने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। हमें प्लास्टिक से उपजे संकट के बारे में किसी चेतावनी की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हम रोज इसका सामना कर रहे हैं। हमारे में शहर ऐसे प्लास्टिक मैटेरियल से भरे पड़े हैं, जिनसे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है।

इससे निपटने के लिए हमें तीन चरणों वाली नीति पर कदम बढ़ाना होगा। पहला, प्रयोग के बाद प्लास्टिक कचरे को एकत्र किया जाए। दूसरा, प्लास्टिक कचरे को लैंडफिल में भेजने के बजाय रीसाइकिल किया जाए या जला दिया जाए। तीसरा, रीसाइकिल या नष्ट करने की प्रकिया ऐसी हो, जिससे पर्यावरण को या अस प्रकिया में काम करने वाले लोगों को खतरा न हो।


इन तीन चरणों के साथ ही एक अहम कदम यह है कि ऐसे प्लास्टिक उत्पाद जिन्हें एकत्र करना या रीसाइकिल करना मुश्किल हो, उनका प्रयोग बंद कर देना चाहिए। वर्तमान प्रतिबंध इसी दिशा में उठाया गया कदम है। इसका लक्ष्य रोजाना प्रयोग वाले ऐसे उत्पादों की पहचान करना है, जिन्हें एक बार प्रयोग करके फेक दिया जाता है। इसीलिए ईयर बड,कटलरी, स्ट्रा और 120 माइक्रोन से कम के कैरी बैग को प्रतिवंधित किया गया है। यह फैसला प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई के लिए निर्णायक है। यह हमें तय करना है कि इससे प्लास्टिक-मुक्त समाज की राह निकले या यह विफल प्रयास बनाकर रह जाए।


इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अभी लगाया गया प्रतिबंध पूर्ण नहीं है। सिंगल यूज प्लास्टिक से छुटकारा पाना है तो इस सूची में मल्टी लेयई पैकेजिंग को भी रखा जाना चाहिए। चिप्स से लेकर शैंपू और गुटखे तक कई उत्पादों में ऐसी पैकेजिंग होती है। यह पैकेजिंग बहुत बड़ा संकट है।

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