दीपक झा। 2021 में कन्हैया कुमार ने कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए। राहुल गांधी की मौजूदगी में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली। भारत जोड़ो यात्रा में भी कन्हैया कुमार की अहम भूमिका की सक्रियता मानी गई। जिसमें वह लगातार राहुल गांधी के साथ चलते हुए नजर आए। भारत जोड़ो यात्रा में बयान देते हुए नजर आए, और आए दिन कन्हैया कुमार सरकार पर और उनकी नीतियों पर बोलते हुए नजर आते हैं। महंगाई पर सवाल उठाते हैं। भ्रष्टाचार पर सवाल उठाते हैं। जहां गुजरात चुनाव में भी कन्हैया कुमार को अहम भूमिका मिली थी। जिसमें वह चुनाव के दौरान सरकार पर जमकर हमला कर रहे थे। तभी से ऐसा माने जाने लगा माना जाने लगा कि कन्हैया कुमार को कांग्रेस के भीतर पार्टी में कुछ बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।

आपको बता दें तो हाल ही के कर्नाटक के चुनाव में भी कन्हैया कुमार को बड़ी जिम्मेदारी मिली थी। जिसके बाद से यह कयास लगाए जाने लगे कि मल्लिकार्जुन खरगे जो कांग्रेस के प्रेसिडेंट बने उसके बाद से कांग्रेस में फेरबदल करके कुछ बड़ा हो सकता है। ऐसा माना जाता था कि दिल्ली में उनको अध्यक्ष पद मिल सकता है। लेकिन इन सब कयासों पर विराम लगाते हुए एनएसयूआई के नेशनल यूनियन ऑफ इंडिया जो कांग्रेस का स्टूडेंट है उसमें उनको प्रभारी बनाया गया। कन्हैया कुमार को छात्रों का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। आपको बता दें तो जो कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल हैं, उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी, और उन्होंने कहा उनको जो राजनीति की समझ है, और युवाओं में जो उनकी पकड़ है। उसको लेकर यह कदम उठाया गया। आपको बता दे, तो उनका इतिहास आपको पता होगा कि वह जेएनयू में अध्यक्ष रह चुके हैं। इसी वजह से उनको जो छात्र विंग सोता है। उसको चलाने का ढंग है। जिसके वजह से भी ऐसा माना जाता है कि उनको अध्यक्ष बनाया गया। इससे पहले जब राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष थे, तो एनएसयूआई के अध्यक्ष के रूप में नीरज कुंदन थे और आज यह फेरबदल हुआ।जिसमें कन्हैया कुमार को बड़ी जिम्मेदारी मिली। एनएसयूआई के अध्यक्ष बने इसके बाद से राजनीति में क्या प्रभाव पड़ता है या यूं कहें कि जो प्रोटेस्ट एंड एनएसयूआई के तरफ से सरकार के खिलाफ किया जाता है, भ्रष्टाचार के खिलाफ, महंगाई के खिलाफ, या रोजगार के खिलाफ तो यह 2024 के इलेक्शन के लिए है, क्योंकि युवा जो हमारे देश की रीड की हड्डी होते हैं। उसके हिसाब से क्या मायने निकलता है? यह देखना और इस फेरबदल में क्या कांग्रेस को फायदा होता है। यह सबसे अहम हो जाता है।

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