नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी भारत के इतिहास की कंप्रिहेंसिव नीति हैः डॉ. के.के अग्रवाल

आईआईएमटी

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नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी भारत के इतिहास की वह कंप्रिहेंसिव (व्यापक) नीति है जिसे शब्दों में बया नहीं किया जा सकता। हम अब तक शिक्षा के आंकड़ों की तो बात करते रहे हैं लेकिन उसकी गुणवत्ता को लेकर चुप हो जाते हैं। यह बातें शुक्रवार को आईआईएमटी कॉलेज समूह के ‘नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 इंपैक्ट एंड प्रोस्पेक्ट्स’ के कॉन्कलेव में नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन यानी(NBA) इंडिया के चेयरमैन प्रो. डॉ के.के अग्रवाल ने मुख्य अतिथि के रूप में कही। उन्होंने आगे कहा कि देश में शिक्षण संस्थानों की कोई कमी नहीं है हमारे पास अच्छा इंस्ट्राफेक्चर होने के बाद भी देश के छात्र विश्वस्तर पर पिछड़ रहे हैं। प्राइमरी से लेकर सेकंडरी लेवल तक की पढ़ाई हो या फिर बोर्ड एग्जाम का रूप बदलने का प्लान, इन सबके लिए सबसे जरूरी है टीचर्स की क्वॉलिटी ट्रेनिंग। यह नीति शिक्षा के हर क्षेत्र में आधारभूत बदलाव की संभावनाएं लेकर आई है।

वहीं वक्ताओं के रूप में डिपार्टमेंट ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च दिल्ली के प्रमुख वैज्ञानिक बी. एन शंकर, सीओओ एनईजीडी डॉ. विनय ठाकुर, एआईसीटीई के मेंबर्स सैकट्री डॉ. राजीव कुमार, एबीवी आईआईआईटीएम ग्वालियर के डॉ एस एन सिंह, एमएचआरडी इनोवेशन सेल भारत सरकार में डायरेक्टर डॉक्टर मोहित गंभीर, हेड टेक्नोलॉजी इनोवेशन डिजाइन आईपीआरसीआईआई के डॉ आशीष मोहन ने भी इस दौरान शिक्षा नीति को लेकर अपने विचार रखे। इस मौके पर डॉ. विनय ठाकुर ने कहा कि शिक्षा एक समवर्ती विषय होने के कारण अधिकांश राज्यों के अपने स्कूल बोर्ड हैं इसलिये इस फैसले के वास्तविक कार्यान्वयन हेतु राज्य सरकारों को सामने आना होगा। साथ ही शीर्ष नियंत्रण संगठन के तौर पर एक राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक परिषद को लाने संबंधी विचार का राज्यों द्वारा विरोध हो सकता है।

दूसरी तरफ कॉन्कलेव बोलते हुए आईआईएमटी कॉलेज समूह के प्रबंध निदेशक डॉ. मयंक अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने जो शिक्षा नीति बनाई है उससे स्नातक शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, थ्री-डी मशीन, डेटा-विश्लेषण, जैवप्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों के समावेशन से अत्याधुनिक क्षेत्रों में भी कुशल पेशेवर तैयार होंगे और युवाओं की रोजगार क्षमता में वृद्धि होगी। वहीं वैज्ञानिक बी. एन शंकर 21वीं सदी के भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिये भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव हेतु जिस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को मंज़ूरी दी है अगर उसका क्रियान्वयन सफल तरीके से होता है तो यह नई प्रणाली भारत को विश्व के अग्रणी देशों के समकक्ष ले आएगी। कार्यक्रम के दौरान आईआईएमटी कॉलेज समूह के डॉयेक्टर जनरल डॉ. एमके सोनी, कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के डॉयरेक्टर डॉ. एसएस त्यागी, कॉलेज ऑफ फार्मेंसी के डॉयरेक्टर मल्लिकाअर्जुन बीपी सहित सभी कॉलेज के निदेशक और फैक्लटी के अनेक लोग मौजूद रहे।

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