एंटीबायोटिक दवाओं से संक्रमण का खतरा हुआ कम, दूसरी तरफ नए वायरस ने दी दस्तक

एंटीबायोटिक

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छाया सिंह- एंटीबायोटिक दवाओं के बेतहाशा प्रयोग से विश्व में दबे पांव एक नई महामारी दस्तक दे रही है। यह महामारी एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंस नामक संक्रमण के रूप में सामने आ रही है और हममें से ज्यादातर लोग इससे अनजान हैं। विश्वभर में तेजी से फैल रहे इस संक्रमण के चलते हर साल एचआइवी-एड्स और मलेरिया से होने वाली मौतों से भी ज्यादा लोगों की जान जा रही है।

मेडिकल जर्नल लैसेंट में हाल ही में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंस (रोगाणुरोधी प्रतिरोध) संक्रमण के चलते हर साल दुनियाभर में 12.70 लाख मौतें हो रही हैं। वर्ष 2019 में इसकी वजह से 49.5 लाख मौतें हुई थीं। यह आंकड़ा उस वर्ष एचआइवी-एड्स और मलेरिया से हुई कुल मौतों से भी ज्यादा है।

एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंस तब होता है जब संक्रमण पैदा करने वाले रोगाणु (जैसे बैक्टीरिया, वायरस या फंगल) इतने मजबूत हो जाते हैं कि उन्हें मारने वाली दवाएं असरहीन हो जाती हैं। इसकी मुख्य वजह एंटीबायोटिक दवाओं का बेजा इस्तेमाल भी है। इसके चलते बैक्टीरिया और अन्य रोगजनक एंटीबायोटिक दवा प्रतिरोधी होते जा रहे हैं।

नए अध्ययन में जो सामने आया है उससे स्पष्ट है कि एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंस पहले के अनुमान से बहुत ज्यादा तेजी से फैल रहा है जो हर किसी के लिए गंभीर चिंता का कारण है। इसका यह भी मतलब है कि हमारे पास प्रभावी एंटीबायोटिक दवाएं खत्म हो रही है और बैक्टीरियल संक्रमण दिन पर दिन हमारे लिए गंभीर खतरा बनते जा रहा है।

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