आदित्य l1 हुआ लांच 15 लाख किलोमीटर दूर है मंजिल, 125 दिनों की होगी यात्रा शुरू करेगा सूरज का एक्सपेरिमेंट

दीपक झा। चंद्रयान 3 की सफल लेंडिंग के बाद भारत करेगा सूरज अध्यन। इसरो ने आज लांच किया आदित्य l1, भारतवासियों की निगाहें इस पर टिकी हुई है और यह कितना सफल हो पाएगा यह 125 दिनों के बाद पता चलेगा। आदित्य l1 अंतरिक्ष यान पृथ्वी और सूरज के बीच इसकी दूरी तय कर के  l1 प्वाइंट पर पहुंचेगा और 14 करोड़ km दूर से सूरज का अध्यन करेगा। ISRO लगातार अपने परचम बुलंद कर रहा है। पूरी दुनिया में भारत का डंका आज isro  ने शान से बजाया है। 2 सितंबर भारत के इतिहास के लिए फिर से एक अहम भूमिका निभाने वाला है। यह भारत का पहला सूर्ययान है। आपके जहन में यह सवाल उठता होगा आखिर ये l1 यानी  लैरेंज पॉइंट वन क्या है? अंतरिक्ष में ऐसी जगह है जो धरती और सूरज के बीच सीधी रेखा पड़ती है। धरती से उसकी दूरी करीब 1500000 किलोमीटर है और सूरज की अपनी ग्रेविटी है। जिसके चलते वहां पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी मौजूद है। यहां पर समझने वाले बाती है कि धरती की भी अपनी गुरुत्वाकर्षण सकती है। अंतरिक्ष जुहा पर दोनों गिरिडीह आपस में कराती है या कहे ऐसा धरती पर ग्रेविटी का असर खत्म होता है। वहां से सूरज की ग्रेविटी शुरू हो जाती है।

एल्बम वांट पर जाकर धरती के बीच चयनित किए गए भारत का चूड़ियां लेडिज कांटेक्ट पर तैनात होगा। जो दोनों की ग्रेविटी सीमा है। यह वहां पर बस कुछ समय तक रहेगा। दोनों ग्रेविटी के बीच सूरज और पृथ्वी वहां पर कुछ समय के लिए टिकेगा। आपको बता दे तो सूरज की दूरी  15 करोड km है। सूरज की सतह थोड़ा ऊपर यानी फोटो शेयर का तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस रहता है। उसके केंद्र में अधिकतम एक दशमलव 50 करोड़ डिग्री सेल्सियस रहता है। ऐसे में किसी जान या स्पेस क्राफ्ट कहां जाना संभव नहीं। इसलिए धरती पर इंसान द्वारा बनाई गई ऐसी कोई चीज नहीं जो सूरज की गर्मी को झेल सके। सौर तूफानों के आने की वजह और उसके लहरों और धरती के वायुमंडल पर उसका असर किया पड़ता है। यह जानेगा सूरज की किरणों से निकलने वाली गर्मी का अध्यन करेगा। उसकी हवाओं क अध्यन करेगा। हवाओं के विभाजन और तापमान के बारे में जानेगा और सौर वायुमंडल को समझने का ज्यादा से ज्यादा प्रयास करेगा।

About Post Author

आप चूक गए होंगे