फ्लैट खरीददारों की समस्याओं के समाधान के लिए होगा फोरम का गठन

नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट के फ्लैट खरीदारों के लिए बड़ी खबर है। यूपी के मुख्य सचिव आर के तिवारी ने कहा है कि फ्लैट खरीदारों की समस्याओं का समाधान करने के लिए एक फोरम गठित किया जाएगा। जिसमें प्राधिकरण के अलावा जिला पुलिस और प्रशासन के अधिकारी शामिल होंगे। फोरम के अधिकारी बिल्डर-खरीदारों के साथ बैठक करके समस्याओं को चिन्हित कर समस्याओं का समाधान करेंगे।
नोएडा के सेक्टर-6 इंदिरा गांधी कला केंद्र में फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री के विषय पर आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि जिन परियोजनाओं में जमा पैसों के अनुपात में रजिस्ट्री की अनुमति मिल गई है, उन सोसाइटी में कैंप लगाकर रजिस्ट्री करवाई जाए। बिल्डर-खरीदारों से संबंधित ऐसे बिंदुओं की सूची बनाई जाए जिनका निस्तारण प्राधिकरण और शासन स्तर से किया जाना है। उन्होंने कहा कि लोगों के साथ संवाद के लिए वर्चुअल संवाद पोर्टल जैसी व्यवस्था विकसित की जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि सभी समस्याओं के समाधान चरणबद्ध तरीके से निर्धारित समय-सीमा में किया जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि नोएडा को वर्ल्ड क्लास सिटी और ईज ऑफ लिविंग मामले में सबसे बेहतर शहर बनाएंगे। प्राधिकरण, प्रशासन और पुलिस की मदद से लोगों को हर बेहतर सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। इसको लेकर उन्होंने लोगों से सुझाव व मदद मांगी। कार्यक्रम में लोगों ने सुझाव दिया कि बच्चों के खेलने के लिए पार्क विकसित किए जाएं। कुत्तों के जरिए काटने के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों ने शेल्टर बनाने की मांग की। खरीदारों की संस्था नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने कहा कि कई परियोजनाओं में सालों से काम बंद है। कहीं यह दूसरा आम्रपाली न बन जाएं। आम्रपाली मामले की दर्जन भर से अधिक परियोजनाओं में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है। बंद पड़ी परियोजनाओं के खिलाफ आवाज उठाने पर खरीदारों के खिलाफ दूसरे राज्यों में एफआईआर हो रही हैं। ऐसे में सरकार को सख्ती करनी चाहिए। नेफोमा की महासचिव रश्मि पांडेय ने कहा कि फ्लैट के कवर्ड एरिया को सर्टिफाई कर उस पर रजिस्ट्री कराई जानी चाहिए। इससे खरीदारों को 25 प्रतिशत तक स्टांप ड्यूटी कम देनी पड़ेगी। नेफोवा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनीष कुमार ने कहा कि रेरा के आदेशों का बिल्डर पालन नहीं कर रहे हैं। आदेश के बावजूद तय समय में बिल्डर कब्जा नहीं दे रहे हैं। रेरा की ओर से जारी कुल रिकवरी सर्टिफिकेट के मात्र 10 प्रतिशत की ही वसूली हुई है। इस मुद्दे पर डीएम सुभाष एलवाई ने कहा कि रेरा के रिकवरी सर्टिफिकेट उन परियोजनाओं के नाम पर जारी किए गए जिनके पास कुछ नहीं है। दूसरी दिक्कत यह है कि निर्माणाधीन परियोजनाओं को संलग्न कर उसकी नीलामी की कोशिश पर परियोजना को खरीदने वाले खरीदार नहीं मिलते, क्योंकि उन परियोजनाओं पर कई प्रकार की देनदारियां हैं। तीसरी दिक्कत यह है कि चल रही परियोजनाओं के एस्क्रो अकाउंट को संलग्न नहीं कर सकते क्योंकि उससे चल रही परियोजनाओं का काम भी बंद हो जाएगा। ऐसे में रेरा के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है। पुलिस आयुक्त आलोक सिंह ने कहा कि बिल्डर के खिलाफ लगातार बढती शिकायतों को देखते हुए रेरा को और सशक्त बनाने की जरूरत है। कोई खरीदार फ्लैट बेचते समय क्या शुल्क लगेगा, यह भी स्पष्ट होना चाहिए। इस पर मुख्य सचिव ने तीनों प्राधिकरण व जिला प्रशासन से प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा। वर्ष 2016 से पहले के मामलों में फ्लैट खरीदारों की शिकायतों के लिए कोई विभाग नहीं है। यह रेरा के दायरे में नहीं आते हैं, लेकिन यूपी अपार्टमेंट एक्ट के तहत आते हैं। ऐसे करीब 30 हजार खरीदार है। इसको देखते हुए या तो रेरा में ही इन मामलों को भी शामिल किया जाए या कोई दूसरा प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाए। इस पर मुख्य सचिव ने जल्द कोई निर्णय लेने का आश्वासन दिया। जीरो पीरियड का लाभ उन परियोजनाओं को भी दिया जाए जिनका काम लगभग पूरा हो चुका था और अधिभोग प्रमाण पत्र जारी हो चुका था। इसका लाभ टाउनशिप व व्यावसायिक संपत्ति को भी दिया जाए। प्रदूषण की वजह से हर साल काम बंद होता है, इसको भी जीरो पीरियड में शामिल किया जाए। वर्ष 2012 में ओखला पक्षी विहार के 10 किलोमीटर दायरे में 77 दिन तक काम बंद रहा था। लेकिन इसका असर करीब दो साल तक रहा। ऐसे में इस पूरी अवधि का फायदा मिलना चाहिए। परियोजना के लिए अधिभोग प्रमाण पत्र जारी करते समय बकाए की जांच न की जाए। परियोजना के लिए समयवृद्धि शुल्क पूरी परियोजना पर न लेकर सिर्फ अधूरे हिस्से पर लिया जाए। बिल्डर की ओर से खरीदारों की संस्था को हैंडओवर, आईएफएमएस लेने समेत कई मुद्दों पर बने विवाद हल करने के लिए अलग से एक विभाग बनाया जाए। कब्जे के समय लागू सर्किल रेट के आधार पर ही फ्लैट की रजिस्ट्री होनी चाहिए। जो फायदे बिल्डर को दिए गए हैं, वे खरीदारों को भी दिलवाए जाएं। अधिभोग प्रमाण पत्र जारी करते समय सभी व्यवस्थाओं की सख्ती से जांच होनी चाहिए। अभी सुविधाएं नहीं होने पर भी पत्र जारी किए जा रहे हैं।

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