जानलेवा है ब्लैक फंगस, महाराष्ट्र में 90 मरीजों ने गंवाई जान

भारत में कोरोना संक्रमण का आतंक लगातार जारी है। तीसरी लहर के संकेत मिलने से लोगों के बीच डर और बढ़ गया है। इसी बीच ब्लैक फंगस ने भी देश में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। एक अध्ययन के अनुसार म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस बहुत संक्रामक है।डाक्टरों ने अपनी इस स्टडी का नाम ‘COVID-19 रखा जिसमें सभी रिपोर्ट किए गए मामलों की एक व्यवस्थित समीक्षा’ की गई है। इस रिपोर्ट में गंभीर फंगल संक्रमण, म्यूकोरमाइकोसिस से संक्रमित कोरोना रोगियों के 101 मामलों का विश्लेषण किया गया है। इसमें पाया गया कि संक्रमितों में 79 पुरुष थे। डायबिटीज को सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक के रूप में पाया गया है। इन 101 लोगों में से 83 डायबिटीज से पीड़ित थे। इस अध्ययन में मुंबई से लीलावती अस्पताल से डॉ शशांक जोशी और नई दिल्ली में राष्ट्रीय डायबिटीज, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन से डॉ अनूप मिश्रा ने एक साथ 101 रोगियों का अध्ययन किया, जिसमें 82 भारत से थे, 9 अमेरिका से और तीन ईरान से। इस चपेट के आने से महाराष्ट्र में 90 मरीजों की मौतें हो चुकी हैं। अध्ययन में 101 में से 31 लोगों की मौत फंगल संक्रमण के कारण हुई। डेटा से पता चला है कि म्यूकोरमाइकोसिस विकसित करने वाले 101 व्यक्तियों में से 60 में सक्रिय कोविड -19 संक्रमण था और 41 ठीक हो गए थे। साथ ही, 101 में से 83 लोगों को डायबिटीज था, वहीं तीन को कैंसर था। शशांक जोशी, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट ने बताया कि कुल 76 रोगियों में एक इम्यूनोसप्रेसेन्ट के रूप में उपयोग किए जाने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉइड का प्रयोग किया हुए था। 21 को रेमेडिसविर और चार को टोसीलिज़ुमैब दिए किए गए थे। इसका असर सबसे अधिक नाक, साइनस, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, फेफड़े, जठरांत्र संबंधी मार्ग, त्वचा, जबड़े की हड्डियों, जोड़ों, हृदय और गुर्दे को प्रभावित कर सकता है।
अध्ययन से पता चला है कि ज्यादातर मामलों में, 89 से अधिक, नाक और साइनस में फंगल का संक्रमण पाया गया था। अध्ययन में यह भी पाया गया कि कम ऑक्सीजन (हाइपोक्सिया), उच्च ग्लूकोज, अम्लीय माध्यम और इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स के उपयोग के कारण सफेद रक्त कोशिकाओं की गतिविधि में कमी के आदर्श वातावरण में कोविड -19 वाले लोगों में म्यूकोरमाइकोसिस बीजाणु फैल रहे हैं। इसमें कहा गया है कि जहां इस फंगल संक्रमण का वैश्विक प्रसार प्रति मिलियन जनसंख्या पर 0.005 से 1.7 है, वहीं भारत में डायबिटीज की आबादी अधिक होने के कारण यह 80 गुना अधिक है।

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