कोविड की दूसरी लहर काबू में नहीं अब तीसरी लहर ने दे दी दस्तक, राजस्थान 500 बच्चे तीसरी लहर की चपेट में

कोरोना ने देश में हाहाकार मचा रखा है। प्रथम चरण के समाप्त होते ही दूसरी लहर ने मानव जीवन पर कड़ा प्रहार कर दिया। दूसरी लहर की चपेट के हजारों की संख्या में मौतें हुई है जिसके खौफ ने आम जनजीवन को काफी ज़्यादा प्रभावित किया है। इसी बीच खबर आ रही है कि अब तीसरी लहर ने भी दस्तक दे दी है। बताया जा रहा है कि इसका असर 0-18 वर्ष के बच्चों पर अधिक होगा। डूंगरपुर सहित राजस्थान में 10 दिन के अंदर 500 बच्चें संक्रमित हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों के अंदर संक्रमण की गति बढ़ने से तीसरी लहर की चिंता सताने लगी है। चिंता इस बात को लेकर है कि बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए हमारी तैयारियां कुछ भी नहीं हैं। सबसे ज्यादा डरावनी बात तो यह है कि बांसवाड़ा, डूंगरपुर के पास मध्यप्रदेश की सीमा के जिले रतलाम में बच्चों में संक्रमण फैलने की यानी तीसरी लहर की पुष्टि हो चुकी है। तीसरी लहर का खतरा कम करने के लिए शासन – प्रशासन तैयारियों में जुट गया है। वहीं एक्स्पर्ट का मानना है कि इस लहर को आने में करीब एक माह लग सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि इसके असर काफी खतरनाक हो सकता है।
कोरोना के सॉर्स कोव-2 वायरस का नया स्ट्रेन बी1617 इसका डबल-म्यूटेंट वैरिएंट है। मार्च में देश में पहली बार इस नए स्ट्रेन का पता चला था। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी मान चुका है कि यह स्ट्रेन ड्राप लेट्स के साथ एयरोसोल यानी हवा से भी फैलता है। यही कारण है कि तीसरी लहर में संक्रमण काफी तेजी से फैलने की बात कही जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो छोटे बच्चों के लिए एनआईसीयू मतलब न्यू बोर्न इंटेंसिव केयर यूनिट के बेड की जरूरत पड़ती है। इसके बाद एक माह से करीब 12 वर्ष की उम्र तक के बच्चों के लिए पीआईसीयू मतलब पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट के बेड चाहिए होते हैं जो कि अभी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में नहीं है। अभी सिर्फ 12 बेड का एनआईसीयू एमसीएच में हैं, जबकि पीआईसीयू यानी पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट का एक भी बेड नहीं है।

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