कोरोना संक्रमण की सामान्य स्थितियों के बाद भी लंबे समय तक रहती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

Pneumonia coronavirus

कोरोना संक्रमण को लेकर हुए शोध में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण की सामान्य स्थितियों के बाद लंबे समय तक रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। वायरस के खिलाफ कोशिकाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करती है। अमेरिका के सेंट लूइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने कहा कि इस तरह की कोशिकाएं जीवन भर रह सकती हैं। वहीं नेचर पत्रिका में इसका विश्लेषण किया गया है। यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर व उनके सहयोगी अली एल्लेबेडी वरिष्ठ लेखक का कहना है कि सोशल मीडिया पर कुछ अफ़वाह फैलाई गई थी कि संक्रमण की चपेट में आने से रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से घटने लगती है। इसी के साथ एल्लेबेडी ने कहा कि यह आंकड़ों को गलत तरीके से पेश करना है। संक्रमण के बाद रोग प्रतिरोधक स्तर का नीचे आना सामान्य बात है, लेकिन वह बिल्कुल ही खत्म नहीं हो जाता है। शोध में इसका विश्लेषण किया गया जिसमें बताया गया कि 11 महीने के अंतराल में पुनः कोशिकाएं उत्पन्न होने लगती है। वहीं बताया गया कि संक्रमण के दौरान एंटीबॉडी उत्पन्न करने वाली प्रतिरोधी कोशिकाएं तेजी से विभाजित होती हैं और रक्त में आ जाती हैं जिससे एंटीबॉडी का स्तर तेजी से बढ़ जाता है। जानकारी के मुताबिक एंटीबॉडी उत्पन्न करने वाली कुछ कोशिकाएं लंबे समय तक रहने वाली प्लाज्मा कोशिकाएं कहलाती हैं। इसी दौरान कोशिकाएं एंटीबॉडी उत्पन्न कर रक्त प्रवाह में पहुंचाती हैं। ये एंटीबॉडी वायरस के संक्रमण से बचाव करती हैं। कुछ नमूनों के आधार पर स्पष्ट किया गया जिसमें 15 में दीर्घ-जीवी प्लाज्मा के अंश पाए गए। इन 15 में से भी पांच ऐसे थे जिनकी बोन मैरो में कोविड-19 होने के 11 महीने बाद भी प्लाज्मा कोशिकाएं मौजूद थीं जो सार्स-कोव-2 के खिलाफ एंटीबॉडी बना रही थीं।

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