कोरोना वायरस के दूसरे चरण के वेरिएंट का सच आया सामने, 18 राज्यों में तबाही का कैसे बना कारण

कोरोनावायरस का घातक नया वेरिएंट ब्रिटेन, यूएसए और अफ्रीका से भारत में प्रवेश कर चुका है। यह घातक वायरस चार महीने पहले 485 यात्रियों के माध्यम से लोगों में फैला था। ब्रिटेन में मिला कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन आज तबाही का मंजर बना हुआ है। सरकार को इसकी जानकारी जीनोम सीक्वेसिंग के द्वारा मिली है। जांच के दौरान 26 राज्यों में यूके का वैरिएंट मिला है। जबकि 18 राज्यों में दोहरा म्यूटेशन भी सबसे ज्यादा लोगों में मिला है। बता दें कि जिसने कभी विदेश यात्रा ना कि हो उसके अंदर भी इस वेरिएंट को देखा गया है। आपको अवगत करवा दें कि कोरोना के कई वेरिएंट भारत सहित दुनिया के बहुत से देशों में देखे गए हैं। पिछले वर्ष दिसंबर में यूके वैरिएंट भारत में मिला, ठीक उसके बाद आठ से 10 वैरिएंट मिल चुके थे। वायरस के विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस के सभी स्ट्रेन वैरिएंट होते हैं लेकिन सभी वैरिएंट को स्ट्रेन नहीं माना जा सकता है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के निदेशक डॉ. सुजीत सिंह का कहना है कि यूके वैरिएंट 485 यात्री और उनके संपर्क में आने वाले 1392 लोगों में मिला था। उनका मानना है कि इस महामारी का 50 फीसदी जिम्मेदार यूके वेरिएंट है। जानकारी के मुताबिक विदेशी यात्रियों में केवल 18 लोग संक्रमित होकर भारत आए थे बाकी यही आने के बाद संक्रमित हुए हैं। वहीं ब्राजील में फैला वायरस भारत में सिर्फ एक ही व्यक्ति में मिला जिसे समय पर आइसोलेट कर लिया गया। नए वेरिएंट को लेकर सरकारें खामोश रही क्योंकि चुनावी रैलियों में प्रतिबंध लगने का डर हो सकता था। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए वायरस को लेकर सरकारों को सतर्क करते रहे लेकिन लापरवाही का नतीजा आज जनता को भुगतना पड़ रहा है।

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