आत्म हत्याओं में विश्व का नंबर 1 देश बना भारत, जानिए आकंड़े और वजह

दुनिया में बीमारी की तरह सुसाइड मामले बढ़ रहे है। शारीरिक बीमारी के लिए जिस प्रकार समझने व उपाय खोजने का प्रयास करते है ठीक उसी तरह आत्महत्याओं को रोकने के लिए बचाव व कारण खोजना जरूरी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि सुसाइड एक वैश्विक समस्या बन गई है। अधिकांश इस फैसले को वो लोग चुनते है जो पारिवारिक, आर्थिक, मानसिक या शारीरिक समस्याओ से जूझ रहे हो। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक दुनिया में प्रति वर्ष 8 लाख सुसाइड के केस सामने आते है। इनमे भारत प्रथम स्थान पर है। इस आंकड़े को तोड़कर समझे तो महज 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या का शिकार हो रहा है। साल 2018 की रिपोर्ट में स्पष्टीकरण हुआ है। ज्ञात हो कि आत्महत्या के मामले सबसे अधिक 45 साल से नीचे आयु वालों के सामने आते है। दुनिया में आत्महत्या का हिस्सा 1.3 फीसदी बताया गया है। 2019 में सुसाइड मृत्यु का 17वां कारण बन गया है। एक्सपर्ट्स ने बताया कि इसके कारणों में हानि, अकेलापन, भेदभाव, संबंध टूटना, वित्तीय समस्याएं, पुरानी पीड़ा और बीमारी, हिंसा, दुर्व्यवहार, और संघर्ष या अन्य मानवीय आपात स्थितियों का अनुभव शामिल है।
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2019 के दौरान भारत में करीब 1,40,000 के करीब सुसाइड केस सामने आए थे। ये 2018 से 3.4 फीसदी अधिक है। फोरकास्टिंग सुसाइड रेट इन इंडिया के अध्ययन कर्ता एन इंपीरियल एक्सपोजीशन के मुताबिक पिछले पांच दशको से भारत में आत्म हत्या की दर बढ़ी है। कोविड के दौरान भी सुसाइड केसों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा कि 2022 में कोविड-19 के चलते मामले बढ़ने की संभावना है। आत्महत्या का पुरुष रिकॉर्ड सबसे अधिक पाया गया है। दुनिया में 66.2 फीसदी जबकि भारत में 33.8 फीसदी पुरुष के मामले सामने आते है। रिपोर्ट्स के अनुसार पढ़ाई करने वालों में आत्महत्या 23-25 फीसदी है जिसमें प्राइमरी, माध्यमिक और सेकेंडरी विद्यार्थी शामिल है। स्नातक और प्रोफेशनल 1.9 फीसदी का आकंलन किया गया है। एनसीआरबी ने हालिया केंद्र में रिपोर्ट पेश की जिसमें 3 साल में 14 से 18 के बीच 24,568 बच्चों ने खुदकुशी की है। रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ कि असंतोषजनक परिणाम के कारण छात्रों में 4,000 सुसाइड मामले हुए है। 24,568 मामलों में 13,325 बच्चियां शामिल है। इसको रोकने के लिए भारत में एक उपाय लागू किया गया है जिसमें कीटनाशक पदार्थ खाने से होने वाली मौतों में कमी आ जाएगी। फिलहाल इस मालमे पर अध्ययन किया जा रहा है, जल्द बचाव और वजह को सामने लाया जा सकता है।

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