आजाद भारत की हकीकत, “जरा याद करो कुर्बानी”

भारतीय आजादी का 75वां त्योहार मनाने जा रहे है। हर साल की भांति इस वर्ष पीएम मोदी लालकिला पर ध्वज रोहण करेंगे। 1947 के पहले भारत की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। देश में उस समय करीब 24 करोड़ की आबादी थी, जो पूरी तरह अंग्रेजी शासन के नियंत्रण में थी। ब्रिटिश हुकूमत की जड़े उखाड़ने के लिए भारतीय वीरों ने भारत छोड़ो आंदोलन का आगाज किया। इस आंदेलन में धीरे-धीरे लाखों की भीड़ हो गई। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपनी योग्यता और वैचारिकता से क्रमबद्ध फैसले लिए। साल 1942 में स्वतंत्रता सैनानियों ने ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया। उन वीर जवानों ने अपने घर परिवार, सुख-समृध्दि, भोग-विलास, नाते-रिश्ते और घूमना-फिरना प्यार मोहब्बत का त्याग कर सिर्फ देश से प्रेम किया। धरती माता की रक्षा और देश की आजादी को अपना फर्ज समझा। उनको याद कर आज रोना आता है, वो नेता और स्वतंत्रता सेनानी निस्वार्थ भाव से देशभक्ति की अलख जलाई और खुद दर्द झेलते हुए खुशी-खुशी बलिदान हो गए। आज की स्थिति में नजर डालिए, नेता कुर्सी की खातिर जनता के साथ हर संभव झूठ और अपराध करवा रहे है। जनता के हक का पैसा मंत्री-विधायक और विभागीय अधिकारी हजम कर जाते है। जनता के साथ छल करना नेताओं के लिए सामान्य मुद्दा बन गया है। उपद्रवियों की कमी नहीं है, बलात्कार, एसिड अटैक, लूट, हत्या, अपहरण और छेड़छाड़ की घटनाए अब मिनट के आकंड़े में आने लगी है। न्याय की बात की जाए तो पैसा, सोर्स, और बहुमत होगी न्याय आपके साथ घूमता फिरेगा। गरीब के साथ हुए अन्याय को दबाने में समय नहीं लगता। सत्य मेव जयते को भ्रष्टाचार रूपी कीचड़ में डुबाया जा रहा है। क्योंकि न्याय के देवता कहे जाने वाले जज और वकील पैसों की खातिर झूठ का सच बना देते है। जनता का विश्वास न्याय व्यवस्था से उठता जा रहा है। राजनीति को व्यापार बनाकर उपयोग किया जा रहा है। मतदान को खरीदने का धंधा उसके बाद जनता के साथ लुका छिपी खेलने का काम किया जाता है। चुनाव के पहले नेता खाकपति था, और जीतने के बाद अरबों की प्रॉपर्टी में आराम फर्मा रहा है। इस सच को जानते हुए भी बोल नही सकते, क्योकि सच बोलने वालों की आवाज दवा दी जाती है। और झूठ का खुलेआम स्वागत होता है।

संसद सत्र में बेफिजूली खर्च

आपने संसद सत्र 2021 में देखा ही होगा कि मुद्दे सुलझाने में पक्ष-विपक्ष एक दूसरे की खूब किरकिरी करता है। लेकिन इन मामलों पर चर्चा सही माहौल में होने की वजाह बेफिजूल की बातों पर हल्ला होता है। पिछले दिनों चल सत्र का कल खर्च करीब 144 करोड़ हुआ है। 7 घंटे में केवल 3.35 घंटे ही चलाया गया। एक मिनट का खर्च 2.6 लाख है। उन नेताओं को ये ज्ञात हो कि बाहर जनता भूख और प्यास से तड़प रही है। कहीं सड़के तो कहीं पानी की व्यवस्था डगमगा रही है। नेता संसद में करोड़ों खर्च कर कुंड़ली मारकर बैठे है। जनता के पैसे से रबड़ी-मलाई खाने वाले एक बार स्वतंत्रता सेनानियों को याद कीजिए, जिन्होंने खुशी-खुशी बलिदान दे दिया। संसद सत्र में उठ रहे प्रमुख मुद्दे 1. बीजेपी सासंद निशिकांत दुबे औऱ टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा का विवादित बयान का मुद्दा,
2. ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं-पीएम, 3. किसान आंदेलन, 4. पेगासस जासूसी कांड, 5. टीएमसी सांसद का निलंबन आदि मुद्दों पर विवाद होता रहा।

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